कोरोना वैक्सीन के डर से बच्चों का टीकाकरण भी हुआ प्रभावित

कोरोना वैक्सीन के डर से बच्चों का टीकाकरण भी हुआ प्रभावित

(कोरोना का असर किन किन क्षेत्रों और किन किन तबकों पर कितना पड़ा है, इसका अंदाजा आज लगाना भी मुष्किल है। बच्चों पर इसका असर बहुत ज्यादा पड़ा है, लेकिन उसकी चर्चा बहुत कम है। इसी कड़ी में संविधान लाइव की साथी सायरा जिक्र कर रही हैं बच्चों के टीकाकरण का। एक तरफ कोरोना वैक्सीन का डर है और दूसरी तरफ कल के नागरिकों का जरूरी टीकाकरण। लेकिन इस भयावह समय में वह भी प्रभावित हुआ है। इसी सिरे को टटोलती सायरा की यह जमीनी रिपोर्ट…. – संविधान लाइव)

भोपाल। आज बच्चा, बूढ़ा, जवान हर व्यक्ति डरा हुआ है। डर का असर इतना है कि हर व्यक्ति अपने घर की चाहरदीवारी में कैद हो गया है। दिक्कत यह है कि घर में कैद होने के बाद भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। भीतर कई तरह के डर जन्म ले रहे हैं। खाने का डर, काम कर डर, मूलभूत सुविधाओं के ना मिलने का डर, और सबसे बड़ा मौत का डर।

कोरोना महामारी में इंसान हर तरफ से बढ़ती मौतों को देख रहा है। अभी तक आम आदमी सोच रहा था कि कोरोना की दवाई आने से हमें कोरोना से मुक्ति मिल जाएगी। वैक्सीन लगने के बाद जो उसके परिणाम देखने को मिल रहे हैं उससे और डर लग रहा है। बताया जा रहा है कि वैक्सीन लगाने से लोगों की मौत हो रही है। इन मौतों को देखकर मन में खौफ पनप रहा है।

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कम्मू के बाग में रहने वाले कुछ परिवारों से बात की तो इसके कुछ उदाहरण देखने को मिले। गर्भवती महिलाओं और शिशु माता से बात की तो पता चला कि कोरोना का डर कितना भयानक रूप ले रहा है कि इन बच्चों की तरफ तो किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा है।

कम्मू का बाग निवासी 30 वर्षीया एक महिला ने बताया कि महिलाएं बच्चों का टीकाकरण नहीं करवा रही हैं। उन्हें डर है कि टीके के नाम पर कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। इससे लोगों को बुखार, घबराहट, उल्टी व शरीर पर दाने हो रहे हैं। दो-तीन दिन के बाद उस व्यक्ति की मौत हो जा रही है।

वे कहती हैं कि हम अपने बच्चों को खोना नहीं चाहते हैं। इस समय अस्पताल में दवाइयां व अन्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इसके कारण लोगों को चेकअप करवाने के लिए घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। जब तक उसका नंबर आता है तब तक उसकी हालत बहुत बिगड़ चुकी होती है। या फिर उसकी मौत हो जाती है। हमारे बच्चे घर पर ही सुरक्षित हैं। नहीं करवाना हमें टीकाकरण।

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सोचने वाली बात यह है कि लोग जानते हैं कि बच्चों का टीकाकरण जन्म से ही शुरू हो जाता है। यह सब जानते हैं। उसके बाद भी टीका लगवाने से डर रहे हैं।

जबकि यह टीके बच्चों को कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों से बचाते हैं। जैसेः- बीसीजी का 1 टीका। डीपीटी के 3 टीके। हेपेटाइटिस के 3 टीके। खसरे का 1 टीका इत्यादि।

जो बच्चों को स्वस्थ व सुरक्षित रखता है एवं बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। साथ ही कई प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया, विषाणु से बचाता है। इस कोरोना काल और लॉकडाउन व वैक्सीन के कारण बने हालात के कारण बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा है।

कहते हैं आज का बालक कल का भावी नागरिक है। यदि आज वह स्वस्थ और सुरक्षित नहीं होगा तो कल का भावी नागरिक कैसे बनेगा। स्थितियां बदल रही हैं। लोगों के सोचने समझने का तरीका भी बदल रहा है। यह डर साफ नजर आ रहा है, जिसके कारण बच्चे टीकाकरण से वंचित हो रहे हैं।