Badhbhada Basti: भदभदा बस्ती के 386 परिवारों के आशियाने जमींदोज, जमीन की जा रही समतल

संविधान लाइव टीम
भोपाल के भदभदा क्षेत्र (Badhbhada Basti) में 386 परिवारों का कथित अतिक्रमण हटाने के बाद नगर निगम का अमला जमीन समतल करने का काम शुरू कर चुका है। बस्तियों को तोड़ने और परिवारों की गुहारों को अनसुना करने की खबरों में कुछ भी नया नहीं होता है। स्मार्ट होते शहरों की खूबसूरती में चुभने वाली इन बस्तियों का टूटना महज एक सामान्य घटना है, जिसे भोपाल इंदौर से लेकर देश के तमाम शहरों में अलग अलग समय, अलग अलग जगह लगातार दोहराया जाता रहा है, दोहराया जाता रहेगा। खबरिया भाषा में कहें तो 5 डब्ल्यू और 1 एच में से सभी हिस्से जस के तस रहेंगे, बस कुछ नाम, वस्तु, शहर, और संख्याएं तब्दील हो जाएंगी। स्थायी रहेगा तो यह कारण कि ये बस्तियां विकास की चमक को फीका करती है।

ऐसा ही एक वाकया बीते चार दिनों में भोपाल में दोहराया गया। हम जब होटल ताज के सामने की जमीन पर पहुंचे तो अतिक्रमण के मलबे को ट्राली में भरकर दूसरी जगह भेजा जा रहा था। देखने में यह मलबा लग रहा था, लेकिन इसमें से कुछ किताबें झांक रही थीं, कुछ चप्पलें थी, कुछ कपड़े और खिलौने भी। इनके साथ कितनी यादों, कितने सपनों, कितनी उम्मीदों को मलबे में तब्दील किया गया है, कहा नहीं जा सकता है।

टूटते घरों के बीच मुर्गी के एक पिंजरे में बंद बच्चे मुस्कुरा रहे थे। असल में, मातमी हालात में लोगों को अपने मकानों को छोड़ना पड़ा। अपने सामने मकानों को टूटते देखा। इन्हीं नजारों के बीच एक मां को अपने बच्चों को मुर्गी के पिंजरे में बंद करना पड़ा। क्योंकि बस्ती में मकानों पर चल रहे बुल्डोजर से मची अफरातफरी के बीच वह अपने बच्चों को सुरक्षित रखना चाहती थी। कभी इन पिंजरो में मुर्गिंयां बंद हुआ करती थीं। उधर, पिंजरे में बंद बच्चे मुस्करा रहे थे, क्योंकि उनके लिए यह खेल का हिस्सा था।

एक दूसरा खेल भी जारी था, जिसमें सरकार, सरकारी अमला, शहर को साफ और चमकदार बनाने वाले स्मार्ट लोग शामिल हैं। दिक्कत यह है कि यह खेल सबसे गरीब लोगों की जिंदगी की कीमत पर खेला जा रहा था।

इस जमीन को खाली कराने के लिए एनजीटी ने जुलाई 2023 के बाद दोबारा आदेश जारी किया था। इसके लिए जाहिर तौर पर एक कारण यह भी बताया गया कि यह क्षेत्र रामसर साइड भोज वेटलेंड में चिन्हित किया गया था। पहले तीन दिन का समय दिया गया। फिर अतिक्रमण हटाने के लिए बिजली कंपनी ने बस्ती की बिजली और नगर निगम ने पानी की सप्लाई बंद कर दी थी। एनजीटी से जुड़े मामलों की समीक्षा पिछले दिनों नगरीय प्रशासन विभाग ने की थी। इसके बाद ही अतिक्रमण अधिकारियों ने बस्ती में मुनादी पिटवाई। समीक्षा बैठक में भदभदा की झुग्गी बस्ती (Badhbhada Basti) को जल्द से जल्द हटाने का निर्णय लिया गया। तमाम असहमतियों, गुहारों, नागरिक जिंदगियों की परवाह किए बगैर।

स्कूली बच्चे और बीमार परेशान
सोमवार को हालत यह है कि स्कूली बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं। बस्ती के अतिक्रमण रोधी कार्रवाई के दौरान सारे रास्ते बंद कर दिए गए थे। बच्चे किसी तरह स्कूल तो चले जाते थे, लेकिन वापस आने में परेशानी होती थी। यही हाल बीमार लोगों का था। इधर, सोमवार को हालात यह थी कि घर टूटने के बाद भी कई लोग बीमार हो गए हैं तो कुछ ने खाना भी छोड़ दिया है।

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12 मार्च को सुनवाई में पेश होगी रिपोर्ट
अब आगे नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से बस्ती खाली करने की जानकारी एनजीटी में 12 मार्च को दी जाएगी। इस दौरान फोटो समेत पूरी रिपोर्ट सुनवाई में प्रस्तुत होगी। लेकिन इन फोटो और रिपोर्ट में वह दर्द शामिल नहीं होगा, जो करीब 2500 लोगों की आंखों में स्थायी रूप से घर कर चुका है।

उम्मीदों को जमींदोज कर रोपे जाएंगे पौधे
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि जमीन समतल करने के बाद अब यहां पौध रोपण की तैयारी की जा रही है। इसके बाद ही इस सबंध कोई प्लानिंग बन पाएगी। हालांकि एनजीटी के आदेश पर जमीन खाली हुई है, तो यहां कोई निर्माण नहीं हो सकता है। एडीएम हरेंद्र नारायण पहले ही कह चुके हैं कि जिला प्रशासन को जमीन खाली कराना था। यह काम पूरा हो गया, अब आगे की जानकारी नगर निगम के पास होगी। यानी दर्द और तकलीफ में जी रहे लोगों से आंख चुराने की शुरुआत की जा चुकी है। जिला प्रशासन अब नगर निगम के पाले में गेंद डाल चुका है।

अब ताज होटल के सामने की भदभदा बस्ती (Badhbhada Basti) इतिहास की बात है। यह इतिहास कार्रवाई के दूसरे दिन ही बन चुकी थी। नगर निगम का बुल्डोजर चला और देखते ही देखते मकान मैदान और मलबे का ढेर नजर आने लगा। बीते गुरुवार को निगम अमले ने तय 100 मकान तोड़ने के टारगेट से आगे बढ़ते हुए 109 मकान जमींदोज किए। घरों को तोड़ने से पहले यहां रहने वाले परिवारों को शिफ्ट करने का दावा किया गया है, लेकिन हकीकत जुदा है। र​हवासियों का कहना है कि उन्हें अंधेरे में रखकर यह पूरी कार्रवाई की गई। उनकी सुनवाई ही नहीं हुई। मुआवजे और शिफ्टिंग की बात की जा रही है, लेकिन वहां भी व्यवस्थाओं का अभाव है।

बहरहाल, भदभदा बस्ती (Badhbhada Basti) में लगातार पांच दिन चली कार्रवाई में कुल 386 मकानों जमींदोज किए गए हैं। अपनी सालों की मेहनत से सिर छिपाने को बनाए कच्चे-पक्के मकानों को लोग अपनी आंखों के सामने ताश के पत्तों की तरह बिखरते हुए बेबसी से देख रहे थे। कुछ की आंखों में आंसू सूख चुके हैं तो कुछ के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। झील किनारे जहां कभी लोगों के आशियाने हुए करते थे वहां अब मलबे का ढेर और उसके सामने गृहस्थी का सामान कबाड़ की तरह पड़ा हुआ है।

नहीं थम रहे आंसू, खाने-पानी को मोहताज हुए मासूम
बस्ती के लोग बताते हैं कि कार्रवाई के दौरान भदभदा बस्ती (Badhbhada Basti) को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। बस्ती से एक किमी दायरा सील कर दिया गया। यहां प्रशासन, पुलिस और नगर निगम अधिकारियों-कर्मचारियों के सिवा किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं थी। ऐसे में विस्थापन की मार झेल रहे भदभदा बस्ती में रहने वाले लोग दुनिया से कट से गए थे। हालात ये थे कि नाते-रिश्तेदार खाना-पानी के साथ भी बच्चों के लिए दूध और अन्य सामान लेकर पहुंच रहे थे। लेकिन पुलिस उन्हें बस्ती में दाखिल नहीं होने दे रही। खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी, बच्चे भूख से बिलख रहे थे, लेकिन अधिकारियों को कुछ नजर नहीं आ रहा था।
रहवासियों ने बताया कि क्या करें, बच्चों के लिए खाना बनाएं या प्रशासन ने जिस घर-गृहस्थी को बिखेरा है उसे समेटें। रहवासियों के चेहरे पर विस्थापन का दर्द साफ छलक रहा है। घर छोड़ने वाले परिवारों के आंसू नहीं थम रहे हैं। बीते पांच दिनों से कई परिवारों का खाना भी नहीं बन पाया है। कुछ परिवार खुले आसमान के नीचे आग सुलगा रहे हैं।

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खाना लेकर पहुंचे रिश्तेदार, बस्ती में जाने से रोका
बस्ती में किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। सिर्फ सरकारी वाहन ही अंदर जा रहे थे, जबकि सामान से भरे नगर निगम के डम्परों को जरूर बाहर आते देखा जा सकता है। अस्थाई पुलिस चौकी पर कुछ महिलाओं ने अंदर जाने के लिए गुहार लगाई, उनके हाथों में खाना और पानी की बोतले थीं, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। खाना-पानी लेकर पहुंचीं महिलाओं का कहना था कि उनके परिजन और छोटे-छोटे बच्चे भूखे हैं।

बस्ती को पांच जोन में बांटा, प्रशासन का दावा — खाली मकान ही तोड़े
प्रशासन ने भदभदा बस्ती (Badhbhada Basti) के 386 मकानों को पांच जोन में बांटा था। गलियों और मकानों की संख्या के आधार पर यह जोन बनाए गए। प्रशासन का कहना है कि जैसे-जैसे मकान खाली होते जा रहे थे, निगम की टीमें मकानों को ढहाती जा रही थीं। हालांकि रहवासियों का कहना है कि उन्हें मकान तोड़ने से पहले पर्याप्त समय नहीं दिया गया और काफी सारा सामान घरों में होने के बावजूद मकान तोड़ दिए गए।

पुलिस कमिश्नर ने जायजा
भदभदा बस्ती (Badhbhada Basti) में हो रही कार्रवाई का जायजा लेने बीच में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा, कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह साथ पहुंचे। इस दौरान निगम आयुक्त फ्रैंक नोबल ए सहित एडीएम हरेंद्र नारायण, रामजी श्रीवास्तव, अपर आयुक्त विनीत तिवारी, पवन सिंह, एसडीएम, तहसीलदार, उपायुक्त योगेंद्र सिंह पटेल, अधीक्षण यंत्र संतोष गुप्ता और उदित गर्ग समेत जिला, पुलिस एवं निगम के कई अधिकारी मौजूद रहे थे।

बुधवार से शुरू हुई इस कार्रवाई का अब जमीन पर नामो निशान भी बाकी नहीं है। प्रशासन का कहना है कि बुधवार को सबसे पहले जिन 30 लोगों ने अतिक्रमण हटाने की सहमति दी थी, उन्हें एक-एक लाख रुपये के चेक दिए गए हैं। लेकिन उनकी सूची देने से प्रशासन ने इनकार कर दिया है। उसे जल्द ही जारी करने की बात कही गई है। इसी तरह अगले दिनों में जितने लोगों ने सहमति दी, उन मकानों को तोड़ दिया गया।
यह सहमति किस आधार पर ली गई और उनसे क्या वादा किया गया इस पर बस्ती के लोगों का कहना है कि विस्थापन के लिए तीन विकल्प दिए गए थे, पहला एक-एक लाख रुपये मुआवजा। दूसरा 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता के साथ हाउसिंग फार आल के तहत मकानों का आवंटन, जबकि तीसरा विकल्प अचारपुरा के पास चांदपुर में जमीन और आर्थिक सहायता। हालांकि भदभदा बस्ती (Badhbhada Basti) के अधिकांश लोग चांदपुर जाने को तैयार नहीं हैं। जिन्होंने मुआवजे का विकल्प चुना है वे भी पैसे का इंतजार ही कर रहे हैं।