Malwa Mahila Kabir Yatra

Malwa Mahila Kabir Yatra: कबीर, मीरा, बुल्ले की वाणी में सुख—दुख—हूक की अभिव्यक्ति

देवास से शुरू हुई मालवा महिला कबीर यात्रा (Malwa Mahila Kabir Yatra)

देवास/भोपाल। एकलव्य फाउंडेशन के “कबीर भजन एवं विचार मंच” की ओर से आयोजित 4 दिवसीय मालवा महिला कबीर यात्रा– धरती की बानी, हेलियों की ज़ुबानी की दूसरी कड़ी की शुरुआत 1 फरवरी को संगीत नगरी देवास से हुई। मालवी सेन धर्मशाला में आयोजित यह 4 दिनी यात्रा मालवा क्षेत्र की मानवतावादी संगीत परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 2 फरवरी को आमलाताज, 3 फरवरी को भाऊखेड़ी होते हुए 4 फरवरी को भोपाल पहुंचेगी। जहां यात्रा का समापन होगा। मालवांचल के अलावा देश के विभिन्न इलाकों से शामिल गयिकाएं इस यात्रा में कबीर, मीरा, रैदास, बुल्ले शाह, लालोन फकीर जैसे सूफी सन्तों की वाणी के साथ ही अपने जीवन के सुख-दुख-हूक की अभिव्यक्ति कर रही है।

Malwa Mahila Kabir Yatra

यात्रा के बारे में एकलवय के कबीर भजन एवं विचार मंच की ओर से बताया गया कि कबीर, जिनके शब्द समाज, देश और काल पर तीखे कटाक्ष करते हैं – आज के संदर्भ में और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। परन्तु घर से लेकर मंच तक महिला कलाकार अपनी जगह की तलाश में हैं – और इसी तलाश को मज़बूती देने के लिए एकलव्य संस्था ने मालवा महिला कबीर यात्रा का आयोजन किया है। दूर-पास से ये महिला कलाकार अपने प्रेम, समता, आज़ादी और सम्मान के गीत साझा करने इस यात्रा में इकट्ठा हुई हैं।

यह भी पढ़ें:  चोरी के अपराध और शर्म पर भारी बेरोजगारी और भूख

Malwa Mahila Kabir Yatra

पहले दिन यात्रा की शाम की शुरुआत देवास की नन्ही कलाकार – कक्षा 7वीं की राजकुमारी सोलंकी और साथियों के साथ हुई। राजकुमारी बचपन से ही कबीर भजन सुनते और गाते हुए बड़ी हुई है और यह मालवा महिला कबीर यात्रा में उसकी दूसरी प्रस्तुति थी। साथ ही ज्योति, गौरी और शारदा – देवास ज़िले के ही सिया गाँव की तीन बहनें हैं जिन्होंने पिछले साल मालवा महिला कबीर यात्रा में 10 साल बाद फिर से साथ मंच पर गाया था।

Malwa Mahila Kabir Yatra

गौरी कहती हैं कि वह अभी भी कबीर के शब्दों के मायने खोज रही हैं। समझने की और जीने की कोशिश कर रही हैं। अब इन्होंने अपनी अगली पीढ़ी को भी कबीर भजन सिखाने का काम शुरू कर दिया है।

राधिका सूद नायक लुधियाना और दिल्ली में पली-बढ़ीं और संगीत के अलावा एम.बी.ए. की पढाई करके, काम करते हुए अपने जीवन की दिशा खोज रही थीं। तब इनका सामना बुल्ले शाह और शाह हुस्सैन की रचनाओं के साथ हुई और इन्हें मानो अपनी मंज़िल मिल गई। महिला कबीर यात्रा में यह उनका पहला अनुभव है और वे नए-नए कलामों को ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों के बीच बांटने को आतुर हैं।

Malwa Mahila Kabir Yatra

लीला रघुवंशी और रतनबाई वाघेला ने इस यात्रा में जीवन में पहली बार मंच से प्रस्तुति दी। कबीर वाणी में ही उनको अपनी पहचान मिली है और वे इसे ही श्रोताओं के सामने लेकर आईं।

यह भी पढ़ें:  Politics of System: हम इलाज देंगे नहीं, आपको किसी और से मदद लेने नहीं देंगे

देवास की ही संगीत शिक्षिका संजीवनी कान्त ने भी अपनी दमदार प्रस्तुति से श्रोताओं को संगीत के साथ बांध दिया।

शान्तिप्रिया सुदूर केरल से इस यात्रा में शामिल होने आई हैं। वे पूर्वांचल के प्रचलित लालोन फकीर, शाह अब्दुल लतीफ साहब के बाउल संगीत गाती हैं, पर इस आयोजन के लिए उन्होंने मालवा के प्रचलित कबीर भजनों की भी प्रस्तुति दी। शांतिप्रिया बच्चों के साथ संगीत और शिक्षा के काम से भी जुड़ी हैं।

Malwa Mahila Kabir Yatra

आह्वान प्रोजेक्ट के वेदी सिन्हा और सुमन्त ने समाज और सामाजिक नियमों पर सावल खड़े करते हुए कुछ दमदार गीत प्रस्तुत किए जिनमें समाज के पाखंड पर तीखे प्रहार के साथ ही हरेक के लिए आत्मचिन्तन के भी मौके थे।

अनुभूति शर्मा ने महिला कबीर यात्रा के माहौल को ध्यान में रखते हुए हेलियों के बीच की बेइन्तहा बातचीत को दर्शाने वाले राग नट में प्रस्तुतियां दीं।

मालवी सेन समाज के प्रांगण में इन सभी महिला कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी श्रोताओं को प्रेम से सराबोर कर दिया।

Malwa Mahila Kabir Yatra

इस यात्रा में भोपाल समेत देश के अन्य इलाकों के 80 से अधिक युवा कलाकार, संस्कृतिकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता शिरकत कर रहे हैं।

Malwa Mahila Kabir Yatra