Parvati Resai Dam Project: संवेदनशील मामले में प्रशासन कर रहा खानापूर्ति, बन रही टकराव की स्थिति

Parvati Resai Dam Project
पार्वती रेसाईं बांध का कैचमेंट एरिया। यह बांध साका जागीर पर बनेगा और इसका विस्तार क्षेत्र श्यामपुर और कुरावर के बीच तक के हिस्से में आता है।
  • Parvati Resai Dam Project
  • मुआवज़े की मांग के पक्ष में नरसिंहगढ़ और सीहोर के किसान हो रहे लामबंद, मांग पूरी नहीं होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी
    प्रशासनिक रिपोर्ट में 18 गांवों के डूब क्षेत्र में आने का जिक्र, ग्रामीण कर रहे दावा— 42 गांवों के किसान, भूमिहीन आदि होंगे प्रभावित

भोपाल से मृगेंद्र की रिपोर्ट

नरसिंहगढ़ (राजगढ़)। केंद्र और राज्य के सहयोग से मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी पार्वती वृहद् सिंचाई परियोजना जिसे पार्वती रेसाई परियोजना (Parvati Resai Dam Project) के नाम से जाना जाता है, इसके अंतर्गत बांध निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। काम जैसे-जैसे बढ़ रहा है, उसी गति में परियोजना से प्रभावित होने वाले ग्रामीणों में मुआवज़े को लेकर असंतोष भी फ़ैल रहा है। शासन-प्रशासन लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इस परियोजना से एक बड़ा असिंचित भूभाग सिंचित होगा और किसान लाभान्वित होंगे।

सरकारी आंकड़े के मुताबिक इस परियोजना (Parvati Resai Dam Project) से 48,000 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा। जबकि सरकारी आंकड़े के अनुसार ही दूसरा पक्ष यह है कि इस परियोजना (Parvati Resai Dam Project) के चलते बांध निर्माण से चार गांव पूरी तरह से जलमग्न होंगे और 14 गांव आंशिक रूप से जलमग्न की स्थिति में होंगे। कुल मिलाकर 18 गांव प्रभावित होंगे जिसमें से 1125 परिवार पूरी तरह प्रभावित होंगे।

परियोजना (Parvati Resai Dam Project) से प्रभावित ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। सिंचित भूमि को असिंचित दर्ज कर मुआवज़े की राशि कम दी जा रही है। किसान गांव-गांव पंचायत कर अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो रहे हैं। इस बीच किसानों ने प्रशासनिक स्तर पर ज्ञापन देना भी शुरू कर दिया है।

कुल 3494.64 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित होगा
बांध निर्माण के चलते निजी और सरकारी दोनों तरह की कुल 3494.64 हेक्टेयर जमीन जलमग्न होगी। इसमें से निजी भूमि का 2290.64 हेक्टेयर और सरकारी भूमि का 1204.07 हेक्टेयर क्षेत्र जलमग्न होगा। जलग्रहण क्षेत्र 3150 वर्ग किमी है। इसमें कुल 172.54 एमसीएम पानी का संग्रहण होगा। सरकारी रिपोर्ट कहती है कि 18 गांव डूब क्षेत्र में आयेंगे, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि बांध की जद में 42 गांव आ रहे हैं।

परियोजना से जुड़ी जानकारी को यहां पढ़ा जा सकता है। यह पर्यावरण पर पढ़ने वाले प्रभाव की रिपोर्ट है।समें सरकार की ओर से परियोजना के क्षेत्र, विस्थापन से लेकर लागत, हितग्राही, प्रभावित आदि के बारे में जानकारी दी गई है।

यह भी पढ़ें:  Podcast- Episode 2: किसान आंदोलन के 6 माह और इसके मायने

Parvati Resai Dam Project बांध के बारे में
राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ तहसील के फतेहपुर गांव के नजदीक पार्वती नदी पर 1815.54 करोड़ की लागत (अनुमानित लागत) से बन रहे बांध की लम्बाई 1050 मीटर, अधिकतम ऊंचाई 25.0 मीटर और चौड़ाई 180 मीटर है। बांध नरसिंहगढ़ तहसील मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। परियोजना के अनुसार इसमें 3 पम्प हाउस होंगे जिसमें 16.00 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी, जिसकी सहायता से रबी सीजन में पाईपयुक्त प्रेशराइज फव्वारे के जरिये खेतों तक पानी पहुँचाया जायेगा। इसमें बड़ी पाईप से छोटी-छोटी पाईपों को जोड़कर पानी निकाला जायेगा। इस योजना से राजगढ़ जिले के 121 गांव और भोपाल जिले के 11 गांव सिंचित होंगे।

प्रीपेड स्मार्ट कार्ड जारी होगा
हर किसान के लिए जहां से उसके खेत के लिए पानी सप्लाई होगा वाटर मीटर लगा होगा। किसान जितना पानी उपयोग में लेंगे वह सब मीटर में दर्ज होगा और उसी के अनुरूप प्रत्येक किसान को अग्रिम भुगतान करना पड़ेगा। इसके लिए किसानों को उनके नाम से प्रीपेड स्मार्ट कार्ड दिया जायेगा। जिसमे किसानों को पहले राशि भरनी होगी और उसको उतना ही पानी मिलेगा। मोबाइल डाटा की तर्ज पर, पहले पैसा बाद में उपयोग।

Parvati Resai Dam Project

ग्रामीणों के आरोप
डूब क्षेत्र में जिनकी जमीन जा रही है, उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। कम मुआवज़ा देने की नीयत के चलते सिंचित और उपजाऊ जमीन को असिंचित दर्ज किया गया है। कुछ मामलों में निजी भूमि को सरकारी बताया जा रहा है, जबकि उन्ही जमीनों के नाम पर किसानों को बैंक द्वारा केसीसी लोन स्वीकृत है और खसरा में भी दर्ज है। जिनके मकान डूब क्षेत्र में आ रहे हैं उनको सिर्फ जमीन का मुआवजा दिया जा रहा है, मकान का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। पशुधन और पेड़-पौधों के नुकसान का कोई आकलन ही नहीं है। कच्चे मकान के लिए किसी भी तरह की मुआवजा राशि निर्धारित नहीं की गई है। कुछ भूमिहीन परिवार पीढ़ियों से गांव में रह रहे हैं, उनके लिए पुनर्वास तक की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

सही सर्वे कर उचित मुआवजा
डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों का कहना है कि हमारी भूमि सिंचित और उपजाऊ है. हम पीढ़ियों से इसी जमीन पर कमा-खा रहे हैं। हमारे खेतों में हरे-भरे पेड़-पौधे खड़े हैं। सभी के खेतों में जमीन के नीचे सिंचाई के लिए पाईप लाइन गड़ी है। प्रति हेक्टयेर 50 लाख रुपये मुआवजा चाहिए, तभी हमारे नुकसान की भरपाई होगी। परिवार के प्रत्येक सदस्य को जो भी 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका है या 2022 के आखिर तक 18 साल का हो जायेगा, सभी को प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपये उसके जीवन निर्वहन के लिए दिया जाये। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कई किसानों की सिंचित भूमि को असिंचित दर्ज किया गया है। सही सर्वे कर उचित मुआवजा। मकान चाहे कच्चा हो या पक्का उसका मुआवजा। जो भूमिहीन सदियों से गांव में रह रहे हैं, उनमें से जिनको भी विस्थापित किया जा रहा है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास देकर पुनर्वासित किया जाये।

यह भी पढ़ें:  Javed Akhtar: तालिबान और तालिबानी सोच के लिए मेरे पास निंदा और तिरस्कार के अलावा कुछ नहीं

प्रशासन गंभीर नहीं, होगा बड़ा आंदोलन
अखिल भारतीय किसान सभा [सीपीआई] के प्रांतीय महासचिव प्रहलाद दास बैरागी कहते हैं कि ग्राम साका जागीर के श्यामजी मंदिर में 17 फ़रवरी को सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में एडिशनल कलेक्टर कमलचंद नागर ने आश्वासन देते हुए कहा था कि 10 दिनों के भीतर ग्रामीणों की सभी समस्याओं का निराकरण करते हुए, उनकी जो भी मांगें हैं पूरी की जायेंगी। लेकिन अभी तक वह आश्वासन ही रहा। हमने प्रशासन को बार-बार इस मसले को गंभीरता से हल करने के लिए चेताया, लेकिन अभी तक शासन-प्रशासन की लापरवाही ही देखने को मिली है।

बैरागी बताते हैं कि हम गांव-गांव लोगों के साथ बैठकें कर रहे हैं और यही बात उभरकर सामने आ रही है कि प्रशासन ग्रामीणों की जिंदगी से जुड़े इस संवेदनशील मामले को असंवेदनशील तरीके से खानापूर्ति करने में लगा हुआ है। जिन किसान-मजदूरों के खेत-खलिहान, आवास इस परियोजना (Parvati Resai Dam Project) के चलते डूब क्षेत्र में जा रहे हैं, अगर उनको उचित मुआवजा देकर पुनर्वास नहीं किया गया तो उनका जीवन तहस-नहस हो जायेगा। हम एक भी व्यक्ति के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि जल्द ही हम सभी किसान भाई मिलकर एक बड़ा आंदोलन करने जा रहे हैं, जिसकी जवाबदेही प्रशासन पर होगी और जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती परियोजना (Parvati Resai Dam Project) का काम प्रशासन को रोकना पड़ेगा।