प्राइवेट डिलेवरी वर्कर्स ने महामारी में अपनी आजीविका के लिए मुख्यमंत्री को लगाए फ़ोन

वर्कर्स की प्रमुख माँगें:
1. कोरोना महामारी के दौरान डिलेवरी वर्कर्स को मासिक रु. 7000 का भत्ता मिले, चाहे वे इस दौरान ऑनलाइन जाएँ या ना जाएँ।
2. जो वर्कर्स काम कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षा के उपकरण दिए जाएँ और ‘जीरो-कांटेक्ट डिलीवरी’ के तरीक़े का प्रशिक्षण दिया जाए।
3. 22 मार्च तक जिन डिलेवरी वर्कर्स के एकाउंट बन गए थे उनको कोरोना महामारी के दौरान बंद ना किया जाए।

भोपाल। शनिवार को रेडीमेड खाना आपूर्ति करने वाली निजी कंपनियों-ज़ोमाटो और स्विग्गी के डिलेवरी पार्टनर-वर्कर्स ने बड़े पैमाने पर मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री ऑफिस में फ़ोन लगा कर कोविड महामारी के दौर में कम्पनियों द्वारा वर्कर्स की अनदेखी किए जाने का विरोध किया और अपनी माँगे रखी। ऐसे सौ से ज़्यादा डिलेवरी वर्कर्स ने तीन माँगें रखी जिसमें एक प्रमुख माँग कोरोना महामारी के दौरान काम बंद होने का 7000 रुपए मासिक भत्ता देने का है।

मुक्तिवादी एकता मोर्चा के सार्थक तोमर और अमेय ने बताया कि यह माँग भी रखी कि डिलेवरी वर्कर्स को इस दौरान काम से नहीं निकाला जाए। वर्कर्स ने सरकार से कहा है कि इनकी माँगों को 14 अप्रैल तक पूरा किया जाए ताकि वे अपना और अपने परिवार का ख़्याल रख कर इस महामारी के दौरान लोगों की ज़रूरतें पूरा करने में अपना योगदान दे सकें।

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इन वर्कर्स की माँगों को जायज़ मानते हुए कोरोना ड्यूटी पर लगी डॉक्टर चैती फुलवरिया का कहना है, “हम इस संकट से लड़ने में सबसे आगे ज़रूर खड़े है, लेकिन हम काम इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि डिलेवरी वर्कर्स हम तक और हमारे परिवार तक खाना पहुँचा रहे हैं। डिलेवरी वर्कर्स की मांग जायज़ है और उन्हें भी भत्ता दिया जाना चाहिए।”

प्राइवेट डिलीवरी कम्पनियों के लिए काम कर रहे मज़दूर महीने के अमूमन 12-15 हज़ार कमाते हैं, ज़्यादातर 12 घंटे काम करने के बाद। चूँकि इन डिलेवरी वर्कर्स को मज़दूर का दर्जा नहीं दिया जाता इसलिए इनको पेड-लीव नहीं मिल रही है। कई वर्कर्स ने काम के लिए गाड़ियाँ भी लोन पर ली है जिनकी किस्त अभी भी भरना पड़ रही है।

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डॉक्टर विशु खरे, जो भोपाल में कोरोना मामलों की सैंपलिंग की ड्यूटी पर हैं, का कहना है, “डिलेवरी वर्कर आवश्यक सेवा दे रहे हैं और उन्हें इस समय पगार दी जानी चाहिए। और जो लोग डिलेवरी कर रहे है उन्हें ‘ज़ीरो-कांटेक्ट डिलेवरी’ के तरीके से काम करने का मौका मिलना चाहिए।”

इस अभियान में मुक्तिवादी एकता मोर्चा और कई चिकित्सकों ने डिलेवरी वर्कर्स का समर्थन किया है।

वर्कर्स की माँगें
1. कोरोना महामारी के दौरान डिलेवरी वर्कर्स को मासिक रु. 7000 का भत्ता,चाहे वे इस दौरान ऑनलाइन जाएँ या ना जाएँ।
2. जो वर्कर्स काम कर रहे है उन्हें सुरक्षा के उपकरण दिए जाएँ और ‘जीरो-कांटेक्ट डिलीवरी’ के तरीक़े का प्रशिक्षण दिया जाए।
3. 22 मार्च तक जिन डिलेवरी वर्कर्स के एकाउंट बन गए थे उनको कोरोना महामारी के दौरान बंद ना किया जाए।