काम के घंटे नहीं, मजदूरी बढ़ाओ, मज़दूरों को सुरक्षित घर पहुंचाओ

भाकपा, माकपा, एसयूसीआई (सी) और आप पार्टी ने संभागायुक्त को दिया ई ज्ञापन, मज़दूरों के लिए कीं अनेक माँगें

इंदौर। मज़दूरों को सरकार उनके घर पहुंचाने का निशुल्क इंतज़ाम करे। काम के घंटे बढ़ाने के बजाय मजदूरी बढ़ाई जाए और काम के घंटे कम किये जाएं। सख्ती, कर्फ्यू, दंड जैसी शब्दावली शासन इस्तेमाल ना करे, जिससे जनता में भय उपजे, बल्कि गरीबों का भरोसा जीतने वाली भाषा बोले। शराब बिकवाने की बजाय ज़रूरी चीजे मुहैया कराए। इन मांगों के समर्थन में अनेक राजनीतिक दलों की तरफ से शुक्रवार को संभागायुक्त को ई-ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में विस्तार से सभी बिंदुओं पर अपनी बात रखी गई और अनेक सुझाव भी दिये गए।

ज्ञापन देने वालों में भाकपा के वसंत शिंत्रे, वरिष्ठ अर्थशास्त्री जया मेहता, भाकपा के ही विनीत तिवारी, रुद्रपाल यादव, माकपा के कैलाश लिंबोदिया, भाकपा की सारिका श्रीवास्तव, एसयूसीआई (सी) की अर्शी खान व आम आदमी पार्टी के जयप्रकाश मुख्य रूप से शामिल थे। इनकी तरफ से कहा गया कि लॉक डाउन खोलने की प्रक्रिया में मज़दूरों से 8 की बजाय 12 घंटे काम लेना ठीक नहीं है। काम के घंटे कम किये जाएं और वेतन भत्तो को डेढ़ गुना किया जाए ताकि इस मुश्किल समय में उन्हें काम करने के लिए राजी किया जा सके। सफाई कर्मचारियों और नर्सिंग स्टाफ को पीपीई किट, मास्क और सेनेटाइजर दिये जाएं क्योंकि किसी भी महामारी से पहला वास्ता इनका ही पड़ता है। संक्रमण से ऐसे जिन कर्मचारियों की मृत्यु हुई है उनके लिए मात्र 50 हजार का मुआवजा घोषित करना शर्मनाक है। मुआवजा राशि बढ़ाई जाए। आशा, उषा कार्यकर्ता बगैर सुरक्षा उपकरणों के तपती धूप में सर्वेक्षण के काम कर रही हैं, उन्हें सुविधाएं दी जाएं और वेतन बढ़ाया जाए।

यह भी पढ़ें:  सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां, आवश्यक वस्तुओं के बढ़ रहे दाम

शहर छोड़कर जाने वाले मज़दूरों से बस वाले अनाप-शनाप पैसा वसूल रहे हैं। मज़दूरों को घर तक छोड़ने का इंतज़ाम शासन के खर्च पर हो। स्पेशल बसें व रेलें चलाई जाएं। जनता की सारी ज़रूरतों की आपूर्ति अगर की जाए तो लॉकडाउन ज्यादा सफल रहे। ज्ञापन में कहा गया है कि हमने पूर्व में भी आपको कई सुझाव दिये हैं। अगर लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही सारी आवश्यकताओं की पूर्ति व्यवस्थित रूप से की जाती तो लॉकडाउन ज्यादा सफल होता।

शासन ने महामारी का हवाला देकर विरोध, धरने प्रदर्शन के नागरिकों, श्रमिकों और कर्मचारियों के जनतांत्रिक हक छीन लिए हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि अगर हमारी माँगों, शिकायतों और सुझावों पर ध्यान न दिया गया तो हम फिजिकल डिस्टेंस रखते हुए अपना विरोध प्रदर्शन करने सड़क पर उतरेंगे। ज्ञापन में प्रशासन पर यह इल्जाम भी लगाया गया है कि प्रशासन विपक्ष के नेताओं से कोई सलाह मशवरा नहीं करता, जबकि उनके पास भी शहर की बेहतरी के लिए अनेक सुझाव होते हैं। प्रशासन सभी दलों से समान व्यहवार करे। ज्ञापन में कोविड 19 के संक्रमण के संप्रदायीजरण के लिए भी प्रशासन और मुख्यमंत्री के गैर8जिम्मेदार और आधारहीन बयानों को ज़िम्मेदार बताया गया है।