कोरोना के आगे दूसरी बीमारियों का इलाज हो रहा मुश्किल से

कोरोना के आगे दूसरी बीमारियों का इलाज हो रहा मुश्किल से

अमरीन

भोपाल। निश्चित ही सिस्टम बनाना सरकार का काम है, लेकिन लोगों को दिक्कत न हो, यह भी सरकार की जिम्मेदारी है। लॉकडाउन तो लगा दिया गया है, लेकिन इलाज के लिए बेहतर स्थितियां नहीं हैं।

सरकारी अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन नहीं है। जरूरी दवाइयों का अभाव है। इस नाज़ुक दौर में मरीज़ों को लेकर जाओ तो उसकी आधी हालत लंबी लाइन में लगकर ही खराब हो जाती है। इसके बाद डॉक्टर जांचों और पर्चे के लिए इतने चक्कर लगवाते हैं कि लोग परेशान होकर खुद सरकारी हॉस्पिटल में इलाज करवाने से दूर हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकारी हॉस्पिटल में इमरजेंसी मरीज़ तक को तुरंत भर्ती नहीं किया जाता है। उन्हें इतना परेशान किया जाता है कि लोग चले जाते हैं।

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सरकारी अस्पतालों में ठीक से इलाज भी नहीं किया जा रहा है। मरीज़ों की तरफ डॉक्टर भी ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं। कई बार तो बुरा व्यवहार और अपमानित भी करने से गुरेज नहीं करते हैं।

ऐशबाग अहमद अली कॉलोनी की जुलेखा की बेटी को तीन महीने से टीबी की बीमारी थी। बेटी का इलाज हमीदिया अस्पताल से चल रहा है। जब तक लॉकडाउन नहीं लगा था, तो ठीक से इलाज चल रहा था। उसको हमीदिया से ही दवा मिल जाती थी। जुलेखा ने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है, हमीदिया जाने से डर लगता है, क्योंकि वहां के डॉक्टर इंजेक्शन लगा रहे हैं। अब ठीक इलाज भी नही हो रहा हैं। बस पूरा दिन लाइन में लग कर ही निकल जाता है।

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उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन खुलेगा और सब ठीक हो जाएगा तब ही हम वापस इलाज शुरू करेंगे। हालांकि टीबी के इलाज में मुश्किल यह है कि कोर्स में नागा होने से इलाज में दिक्कत आती है। जुलेखा ने कहा कि इलाज में मुश्किल यह हो रही है कि हर डॉक्टर कोरोना के इलाज में ही लगा है। बाकी मरीजों की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।