लॉकडाउन ने काम बंद किया, लेकिन पेट की भूख नहीं!

लॉकडाउन ने काम बंद किया, लेकिन पेट की भूख नहीं!

शोएब खान

सरकार की विफलता के नतीजे में लॉकडाउन लगा दिया गया है। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तौर से कमजोर तबके को काफी परेशानी हो रही है। सोनिया कॉलोनी में रहने वाले 25 साल के समीर अपनी अम्मी और भाई बहन के साथ किराये के मकान में रहते हैं। समीर बताते हैं कि मैं सात सालों से न्यू मार्केट में चूड़ी की दुकान पर काम कर रहा हूं। लॉकडाउन लगने के कारण मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या करें? पिछली बार लॉकडाउन लगने की वजह से मैं कर्जे में आ गया था। कर्जे के पैसे चुकाने में मुझे छह महीने लग गए।

यह भी पढ़ें:  Covid Tales: ‘शहरों को सुंदर बनाता हूं और अकसर भूखे सो जाता हूं’

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद दुकानदारी पर भी असर पड़ा। काम करने वाले लड़कों के भी पैसे कम कर दिए गए। उसमें भी कभी देते कभी नहीं देते हैं। कई बार सोचा ये काम छोड़ दूं, पर कहीं काम न होने के कारण मजबूरी में वही काम करता रहा। चूड़ी के अलावा मुझे कोई और काम भी नहीं आता है। अब जा के दुकान पहले जैसे चलने लगी थी। सरकार द्वारा नाइट कर्फ्यू लगाने से ग्राहकी पर भी असर पड़ा।

न्यू मॉर्केट में सात बजे के बाद ही दुकानदारी चलती है। जल्दी मार्केट बंद होने की वजह से ग्राहकी भी कम हो गई है। नौ बजे से ही दुकान बंद करना पड़ती थी। पुलिस वाले न आ जाएं, दुकान खुली देखकर चिल्ला-चोट करेंगे। नाइट कर्फ्यू तक तो ठीक था, उसके बाद हफ्ते में एक दिन का लॉकडाउन लगा दिया। फिर हफ्ते में दो दिन का लॉक डाउन। मैं यह सोचकर परेशान था, हफ्ते में दो दिन दुकान बंद रहेगी तो घर कैसे चलेगा। रोज़ कमा के खाने वाले हैं।

यह भी पढ़ें:  Food Volunteers Struggle to Reach Food to Bastis

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन लगने के बाद और फ़िक्र हो गई है। जो पैसे थे सब खत्म हो गए हैं। मकान का किराया देना है, घर कैसे चलेगा कुछ समझ नहीं आ रहा है, क्या करें। कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन बढ़ता ही जा रहा है और लोगों की परेशानी भी।