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IPTA: इप्टा की “ढाई आख़र प्रेम” सांस्कृतिक यात्रा का आगाज

  • छतीसगढ़ी लोक गायन, कबीर भजन और सांस्कृतिक रैली के साथ रायपुर से शुरू हुई IPTA की यात्रा
  • झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश के कई शहरों से होते हुए पहुंचेगी मध्यप्रदेश, इंदौर में 22 मई को समापन

IPTAरायपुर, 9 अप्रैल। आज़ादी के 75वें वर्ष के अवसर पर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) प्रेम, दया, करुणा, बंधुत्व, समता और न्याय से परिपूर्ण हिंदुस्तान के स्वप्न को समर्पित “ढाई आख़र प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा” निकाल रहा है। यात्रा का शुभारंभ रायपुर में सांस्कृतिक रैली, सुप्रसिद्ध कबीर भजन गायक पद्दम श्री प्रहलाद टिपानिया की मनमोहक गायकी, छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति के परिचायक नाचा विधा के कलाकारों के लोकगायन व गम्मत (नाटक) की दमदार प्रस्तुति के साथ हुआ।

मौका भी था और दस्तूर भी, प्रेम की बात हो और कबीर का जिक्र न हो ऐसा नहीं हो सकता। मौका था इप्टा द्वारा आयोजित “ढाई आख़र प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा” के शुभारंभ का और ऐसे में दस्तूर बन जाता है कि वातावरण में प्रेम की मिठास को घोला जाये। हमारे शहर रायपुर में बीती शाम कबीर के नाम रही, प्रेम के नाम रही। दुनिया भर में कबीर के भजनों का जादू बिखेरने वाले सुविख्यात लोक गायक पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया ने मुक्ताकाशी मंच से ऐसी मनमोहक और जीवंत प्रस्तुति दी कि श्रोता कबीर के भजनों में डूबकर गोता लगाने लगे।

ऐसा लग रहा था जैसे प्रेम और भक्ति की रसधारा बह रही हो। टिपानिया जी जिस तरह मुक्त कंठ से कबीर को सुना रहे थे श्रोता उतने ही उदार ह्रदय के साथ कबीर को आत्मसात कर रहा था।

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IPTAइस अवसर पर इप्टा के राष्ट्रीय सचिव राकेश वेदा ने सांस्कृतिक यात्रा के उद्देश्य को लेकर सारगर्भित उद्बोधन के माध्यम से बताया कि आज़ादी के 75 साल के मौके पर निकलने वाली ‘‘ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा’’ असल में स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से निकले स्वतंत्रता – समता – न्याय और बंधुत्व के उन मूल्यों के तलाश की कोशिश है, जो आजकल नफ़रत, वर्चस्व और दंभ के तुमुल कोलाहल में डूब से गये हैं। हालांकि वो हमारे घोषित संवैधानिक आदर्शों में झिलमिलाते हुये हर्फ़ों के रूप में, गांधी के प्रार्थनाओं और आंबेडकर की प्रतिज्ञाओं के रूप में हमारी आशाओं में अभी भी चमक रहे हैं। इन्हीं का दामन पकड़कर हमारे किसान, मजदूर, लेखक, कलाकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता गांधी के अंहिसा और भगत सिंह के अदम्य शौर्य के सहारे अपनी कुर्बानी देते हुए संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में डटे हैं।

यह यात्रा उन तमाम शहीदों, समाज सुधारकों एवं भक्ति आंदोलन और सूफ़ीवाद के पुरोधाओं का सादर स्मरण है, जिन्होंने भाषा, जाति, लिंग और धार्मिक पहचान से इतर मानव मुक्ति एवं लोगों से प्रेम को अपना एकमात्र आदर्श घोषित किया। प्रेम जो उम्मीद जगाता है, प्रेम जो बंधुत्व, समता और न्याय की पैरोकारी करता है, प्रेम जो कबीर बनकर पाखंड पर प्रहार करता है, प्रेम जो भाषा, धर्म, जाति नहीं देखता और इन पहचानों से मुक्त होकर धर्मनिरपेक्षता का आदर्श बन जाता है।

IPTAइसके पहले छत्तीसगढ इप्टा के महासचिव अरुण काठोते ने स्वागत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम की शुरुआत नगर निगम गार्डेन के परिसर से हुई, जिसमें इप्टा के राष्ट्रीय सचिव मंडल के सदस्य शैलेन्द्र ने कहा कि इप्टा जिंदगी के गीत और उम्मीद का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब इतिहास के इस दौर में घना अँधेरा छाया हो तो मुहब्बत के गीत, प्रेम के गीत, अमन के गीत गाने की जरूरत है। राजेश अवस्थी ने अपने संबोधन में कहा कि इस नाउम्मीद के दौर में इप्टा की यात्रा उम्मीद और प्रेम का पैगाम है।

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इसी के साथ उपस्थित जनसमूह के सामने नाचा थियेटर के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति के प्रतीक गम्मत की प्रस्तुति दी। इसके बाद सांस्कृतिक रैली के रूप में इप्टा के साथियों के साथ ही, प्रलेस, जलेस सहित सभी सांस्कृतिक व अलग-अलग संगठनों से जुड़े व स्वतंत्र रूप से काम करने वाले लेखक, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता, संस्कृतिकर्मी, पत्रकार, नौजवान, छात्र सहित शहर के वरिष्ठ नागरिक शामिल हुए । कार्यक्रम का संचालन इप्टा रायपुर के ईश्वर सिंह दोस्त ने किया। इप्टा के छत्तीसगढ़ अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी ने आभार प्रदर्शित किया।

IPTAइप्टा द्वारा आयोजित यह सांस्कृतिक यात्रा भाईचारा और अमन का संदेश देते हुए 9 अप्रैल को रायपुर से शुरू होकर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से होते हुए झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश और फिर मध्यप्रदेश के इंदौर में 22 मई को यात्रा का समापन होगा। इस दौरान 250 से अधिक स्थानों पर नाटक, कविता, गीत, गजल, पोस्टर, नृत्य, संगीत, एवं अन्य कलाओं से जुड़े कार्यक्रम होंगे।