प्रशासन खाना दे दे, हम बाहर नहीं निकलेंगे – लॉक डाउन में मजदूरों की दास्तान

भोपाल। प्रदेश में जहां कोरोना फैला हुआ है। लोग बीमारी से मर रहे हैं। वहीं मजदूर वर्ग गरीबी में बसर करने वाले लोग भूख से मर रहे हैं।

80 फीट रोड पर किराने की दुकान पर काम करने वाले एक मजदूर का कहना है हम सुबह से शाम तक काम करते हैं तब जाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर पाता हूं। लेकिन आज फिर लोग डाउन लग गया है, जिसके कारण दुकानें नहीं खुल रही हैं। काम नहीं मिल रहा है। परिवार का पालन पोषण कैसे होगा यही चिंता सता रही है।

उसके साथ काम करने वाले साथी ने बताया कि एक अनाज की दुकान है वहां पर हम्माली का काम चल रहा है। अनाज की बोरी को उठा कर गोदाम में रखना है और गोदाम से उठाकर गाड़ी में रखना है। उसके पास कोई काम नहीं था उसने काम करने के लिए हां कह दी और काम पर आने लगा।

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लेकिन उस बस्ती में रहने वाले कुछ लोग यह सब देख रहे थे कि यहां पर काम चल रहा है। लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंस के काम कर रहे हैं।

कुछ लोगों ने कहा भाई लोग डाउन है कोरोनावायरस के मरीज की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है जिससे लोगों की मौत हो रही है। आप लोग मास्क लगाएं एवं सोशल डिस्टेंस रखें। इस पर वह मजदूर ने कहा भाई इतनी कोरोना कि फिक्र है तो प्रशासन से कहो कि कोरोना सही दवा बनाए। मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध कराएं एवं मजदूरों को घर पर ही काम दें। जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होने लगे। हम घर से ही काम करके पैसा कमा सके और अपना पेट भर सकें।

एक साल से हम यही हालात देख रहे हैं कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। सिर्फ लोग मर रहे हैं। कोरोना के नाम पर और प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है। तुम हमें खाद्य सामग्री उपलब्ध करा दो हम घर से बाहर नहीं निकलेंगे। क्योंकि प्रशासन तो कुछ करता नहीं है सिर्फ लोग डाउन लगा देता है। अब तुम जियो या मरो, तुम हमें खाना दे दो जब तक लोग डाउन लगा है वरना अपना भाषण अपने पास रखो। क्योंकि इससे हमारा पेट नहीं भरता।

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वह व्यक्ति चुप हो गया और वापस अपने घर चला गया। क्योंकि यह सच है लॉक डाउन में प्रशासन की तरफ से कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही है लोग भूख से मर रहे घर पर और बाहर कोरोना से यही सच है।

मरना तो वैसे भी है इसीलिए हम काम करके मरे कम से कम हमारे बच्चे दो वक्त का खाना तो खा सकेंगे।

सायरा खान 

एका