महज एक कोडिंग से हल हो जाएगी समस्या

22 जुलाई 2016 के राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव
नई दिल्ली. इंटरनेट पर गूगल सर्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपराधियों की सूची में शामिल होना, एक बार फिर चर्चा में है। इस मामले में इलाहाबाद की एक अदालत ने गूगल के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। मई २०१५ में पहली बार गूगल सर्च में प्रधानमंत्री मोदी का नाम अपराधियों को सर्च करने पर सामने आया था। जुलाई २०१५ में इस पर विवाद शुरू हुआ। हालांकि तब भी गूगल ने औपचारिक माफी मांगकर इस बारे में कदम उठाने को कहा था, लेकिन एक साल बाद भी कोई ठोस बदलाव नहीं आया है। हालात जस के तस हैं। आज भी गूगल सर्च में मोदी का नाम ‘दुनिया के १० शीर्ष अपराधी’ सर्च करने पर सामने आता है। हालांकि जानकारी मानते हैं कि यह बेहद सामान्य समस्या है और किसी एक व्यक्ति से संबंधित सर्च नियंत्रित करने के लिए महज एक कोडिंग बदलने की जरूरत है।

गूगल की सफाई
कभी कभी इंटरनेट पर इमेज सर्च में अप्रत्याशित रिजल्ट सामने आते हैं। हम इससे पैदा हुए किसी भी भ्रम और गलतफहमी के लिए माफी चाहते हैं। हम अपने अल्गोरिदम को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। ताकि इस तरह के सर्च परिणामों को रोका जा सके।

क्या है समस्या
गूगल का अल्गोरिथम सर्च के लिए उस शब्द से संबंधित सबसे लोकप्रिय फोटो, व्यक्ति या जगह को ढूंढता है। इससे कई बार गलत परिणाम सामने आते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का नाम बार-बार गुजरात दंगों के कारण चर्चा में रहा और गूगल अल्गोरिथम इसे उसी से जोड़कर देखता है। बराक ओबामा से लेकर व्लादिमिर पुतिन तक के सर्च रिजल्ट में यह खामी सामने आई है।
ठीक क्यों नहीं करता गूगल 
सर्च इंजिन के जानकार कहते हैं कि यह ऐसी समस्या है, जिसका हल महज एक कोडिंग है। गूगल जिस दिन चाह लेगा, उस दिन यह समस्या हल हो जाएगी। क्योंकि किसी एक व्यक्ति या नाम से संबंधित सर्च नियंत्रित करने के लिए महज कोडिंग में बदलाव की दरकार है। गूगल का हालिया अल्गोरिथम बेहद बड़ा है और यह हर तरह की जानकारी जुटाता है। गूगल की सफलता का राज भी इसके अल्गोरिदम का असीमित विस्तार है। जाहिर है, अगर गूगल किसी एक व्यक्ति, वह प्रधानमंत्री मोदी हों या कोई और नेता या महत्वपूर्ण शख्स, से संबंधित सर्च नियंत्रित करेगा, तो उसकी सबसे बड़ी खासियत ही खतरे में पड़ा जाएगी।
भारत के पास विकल्प
भारत सरकार ने औपचारिक रूप से गूगल से इस बारे में कोई अपील नहीं की है। भारत की बात को गूगल कतई नहीं टाल सकता। यह गूगल का सबसे बड़ा बाजार है। गूगल की 30 प्रतिशत सर्च भारत से जुड़ी होती हैं। यानी यह या तो कोई भारतीय कर रहा होता है, या फिर यह किसी भारतीय शख्स या घटना या स्थान आदि के बारे में होती है। अगर गूगल ऐसा नहीं करता है तो भारत चाहे तो गूगल पर प्रतिबंध लगा सकता है। ऐसी स्थिति में सर्च से संबंधित समस्या खुद ब खुद खत्म हो जाएगी।
क्या है विकल्प
– भारत सरकार गूगल से औपचारिक अपील करे कि प्रधानमंत्री के नाम के साथ गलत सर्च रिजल्ट न आएं। गूगल इसके लिए कोडिंग में बदलाव करेगा।
– भारत में गूगल पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। यह तरीका कारगर नहीं होगा, क्योंकि गूगल जितना भारत पर निर्भर है, भारतीय इंटरनेट समाज को भी गूगल की उतनी ही जरूरत है।
– गूगल अपनी अल्गोरिथम को पूरी तरह से बदले और संवेदनशील सर्च के परिणामों पर लगाम कसे। यह लंबी प्रक्रिया है। हालांकि गूगल इस पर कितनी तेजी से काम करता है, उस पर ज्यादातर चीजें निर्भर रहेंगी।
तीन देशों का कानून
गूगल और भारत के बीच जो भी बातचीत होगी। उसमें तीन देशों का कानून लागू होगा। गूगल इंडिया का सर्वर सिंगापुर में है। इसलिए इसमें भारत, अमरीका के अलावा सिंगापुर का कानून भी प्रभावी होगा। मौटे तौर पर कानूनी अड़चनों के बजाय इसका हल बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें:  अपराध का रंग काला क्यों है?

बहुत बड़ा मामला नहीं
ज्यादातर लोग जानते हैं कि सर्च रिजल्ट में हर बार सटीक परिणाम हासिल नहीं होते हैं। कई अन्य कारणों से कोई नाम, घटना या कुछ भी रिजल्ट में दिखाई देता है और यह पल-प्रतिपल बदलता भी रहता है। इसका कोई खास अर्थ नहीं होता है।

विशेषज्ञ राययह नई समस्या नहीं है। गूगल को इस बारे में दशकों से पता है। बीते पांच छह साल में यह समस्या बढ़ गई है। कई नेताओं और सरकारी, ऐतिहासिक इमारतों के बारे में गलत सर्च परिणामों के बाद इसकी चर्चा हुई है। गूगल का अल्गोरिथम काफी पुराना है, जबकि डाटा बेस बहुत ज्यादा बड़ा हो गया है। ऐसे में अल्गोरिथम में बदलाव जरूरी है। जो गूगल को जल्द करने चाहिए।
गौरव आनंद, आईटी एक्सपर्ट

कैसे काम करता है इंटरनेट सर्च इंजिन
इंटरनेट का सर्च सिस्टम कई चीजों पर निर्भर करता है। इसमें लोकप्रियता, व्यवस्थित पेज, वेबसाइट की रैंकिंग, संबंधित व्यक्ति की रुचि जैसे सैकड़ों कारण शामिल हैं। जाहिर है कि सर्च की यह समस्या आने वाले दिनों में और जटिल होती जाएगी। सर्च इंजन अल्गोरिथम के आधार पर काम करते हैं। यह आपके खोज शब्द के सबसे नजदीक के संभावित व्यक्ति, संस्था, वाक्य और घटना को खोजकर और उनकी लोकप्रियता के आधार पर आपके सामने लाते हैं। यह काम इतना जटिल और मशीनी है कि इसे पूरी तरह काबू करना लगभग नामुमकिन है।

यह भी पढ़ें:  सेलिब्रेशन आॅफ जर्नलिज्म: ब्रिटिश फोन हैकिंग विवाद - मीडिया समूह ने भुगता निजता में दखल देने का खामियाजा

-सर्च इंजिनों के इस्तेमाल को 22 साल हो गए हैं। पहला इंटरनेट सर्च इंजन ‘आर्चीÓ था, जिसे 1990 में एलन एमटेज नामक छात्र ने विकसित किया था। 
-1997 में आया ‘गूगल’ सबसे सफल और सबसे विशाल सर्च इंजन माना जाता है। इन दिनों ‘याहू’, ‘बिंग’ (पिछला नाम एमएसएन सर्च), एक्साइट, लाइकोस, अल्टा विस्टा, गो, आदि सर्च इंजन भी मौजूद हैं।