Covid Tales: जिंदगी खूबसूरत है

सायरा खान

Covid Talesयह कहानी आसमा की है। असमा निम्न वर्गीय परिवार से आती हैं। पिता ठेला चलाने का काम करते हैं। मां ग्रहणी हैं। उनकी दो बहनें और एक भाई है। आसमा घर में सबसे छोटी हैं। दोनों बड़ी बहनें दिखने में खूबसूरत थीं, इसलिए उनकी शादी जल्दी हो गई। भाई शादी के बाद अलग हो गया। आसमां अपने मां-बाप के साथ रहती हैं।

आसमा (परिवर्तित नाम) बचपन से मोटी थीं। उनके सांवले रंग के कारण आस पड़ोस के लोग उन्हें काली बोल पर चढ़ाते थे। जब कोई उन्हें काली कहता तो वह बहुत गुस्सा करतीं। अपनी मां को आकर बतातीं। मां के न सुनने पर वह कई बार चिढ़ाने वालों से झगड़ा करने लगतीं। मुझे गाली मत बोलो मेरा नाम असमा है काली नहीं।

परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण छठवीं के बाद उनकी पढ़ाई बंद हो गई। अब उन्होंने घर पर मां के कामों में हाथ बटाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे घर की सारी जिम्मेदारी संभाल ली। आस पड़ोस के लोग और रिश्तेदार मां से पूछने लगे थे कि कब बेटी के हाथ पीले कर रही हो? सुनकर मां बोलतीं, देख रहे हैं लड़का। अभी कहीं बात जम नहीं रही है। बहुत से रिश्ते आए, लेकिन उसके सांवले रंग के कारण बात बन नहीं रही है।

आजकल के लड़कों को तो खूबसूरत लड़की चाहिए। साथ में ढेर सारा दहेज भी। हमारे पास तो दोनों ही नहीं है। मेरी बेटी खूबसूरत नहीं है, यह चिंता मुझे दिन-रात खाए जा रही है। आखिर कैसे होगी इसकी शादी!

आसमा की मां अब अकसर शादी की बात को लेकर उसको ताने देने लगी थीं। थीं। पता नहीं हमारे सिर से यह बोझ कब उतरेगा। असमा सुनती और अकेले में बैठ कर रोती। बड़ी मुश्किल से एक रिश्ता आया। मां ने खुश होकर तुरंत हां कर दी। अब मेरी बेटी की शादी हो जाएगी और मेरी जिम्मेदारी भी खत्म हो जाएगी। शादी के लिए उन्होंने सामान खरीदना शुरू कर दिया। रिश्तेदारों ने भी कुछ मदद कर दी। सब तैयारियां हो चुकी थीं। शादी की तारीख भी पक्की हो गई थी, लेकिन अचानक लॉकडाउन लग गया और लड़के वालों ने मना कर दिया।

बीमारी फैल रही है अभी शादी नहीं करेंगे। मां ने कहा कि कुछ लोगों को बुलाकर कर लो हमारी पूरी तैयारी हो गई है। हम शादी करने की इजाजत ले लेंगे, लेकिन लड़के वाले नहीं माने। उन्होंने कहा कि बाद में करेंगे। अब मां को फिक्र होने लगी। पता नहीं कब लॉकडाउन खुलेगा और कब होगी शादी। शादी न हो पाने का वह सारा गुस्सा बेटी पर उतारने लगीं। न शक्ल की है, न सीरत की है। न पढ़ी लिखी है। न किस्मत वाली है। पता नहीं और कितने दिन इसे हमें झेलना होगा। इसकी शादी होगी भी या नहीं। कुछ समझ नहीं आ रहा है। क्या करें।

यह भी पढ़ें:  Covid Tales: ‘शहरों को सुंदर बनाता हूं और अकसर भूखे सो जाता हूं’

यह सब सुनकर बेटी उदास हो गई और चुप रहने लगी। लॉकडाउन खुला धीरे-धीरे परिस्थितियां सुधरती दिखाई दे रही थीं। मां ने लड़के के माता-पिता से बात की अब कर लो शादी। एक साल हो गया बातचीत लगे हुए। लोग बार-बार पूछते हैं। कब करोगी बेटी की शादी, अगर आपका मन शादी करने का हो तो बता दें। हम तैयारियां कर लेते हैं।

उन्होंने कहा ठीक है, कर लेते हैं शादी। अचानक फिर खबर आ गई कि लॉकडाउन लग रहा है। लड़के वालों ने खबर पहुंचा दी कि मत करो शादी की तैयारी बाद में देखेंगे। पता नहीं कब तक बंद रहेगा। काम-धंधे बंद हो जाएंगे। घर की आर्थिक स्थिति वैसे भी ठीक नहीं है। पैसा बचा कर रखो। लॉकडाउन में काम आएगा। अभी नहीं करना हमको शादी अगर तुम्हें जल्दी है, तो दूसरा रिश्ता देख लो।

यह बात सुनने के बाद मां को बहुत बुरा लगा। वह उनके घर से वापस आ गईं और बड़बड़ करने लगीं। उन्होंने सारा गुस्सा अपनी बेटी पर उतार दिया। बेटी ने मां को पीने के लिए पानी दिया तो मां ने गिलास फेंक दिया और कहा कि मनहूस मर क्यों नहीं जाती। इसका कोई भी काम समय पर नहीं होता है। उन्होंने मना कर दिया शादी के लिए पता नहीं कब होंगे इसके हाथ पीले।

अब आसमा का सब्र टूट चुका था। उसने मां पर चिल्लाते हुए कहा, क्या यह मेरी गलती है। जब देखो तब ताने मारती रहती हो। इतनी बुरी हूं तो मार डालो। सब झंझट खत्म हो जाएगी। मां गुस्से में थीं। उन्होंने बेटी को तमाचा मार दिया। बेटी रोते हुए बोली, क्या मैंने कहा था कि तुम मुझे पैदा करो। मुझे खुदा ने ऐसा बनाया है तो मैं क्या करूं। मां बोलीं, आज बहुत जुबान चल रही है तेरी। चुप कर वरना मुंह तोड़ दूंगी तेरा।

आसमा ने गुस्से से कहा, तोड़ दो, मुझे नहीं जीना। मैं जहर खा कर मर जाऊंगी। देखना तब तुम्हें समझ आएगा। मां बोलीं, जा मर जा। अच्छा है।

यह भी पढ़ें:  Abdul Haq: स्कूल और यार-दोस्तों के बिना जड़ हो रहे हैं बच्चे

आसमा रात भर रोती रही। उस रात उसने खाना भी नहीं खाया। सुबह देर तक सोती रही। उसे हल्का सा बुखार था। मां ने उठाया और कहा कि नाश्ता कर लो। आसमा गुस्से में थी। कहा कि नहीं करना नाश्ता।

यह सब उसके पिता देख रहे थे। पिता ने समझाया, तेरी मां की आदत तो तू जानती है न। मत रो, जा उठकर नाश्ता कर ले और आराम कर। उस वक्त तो वह उठ गई और नाश्ता भी कर लिया, लेकिन उदासी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। मुंह पर चुप लगी थी। जैसे मरने की ठान ली हो। कोई भी घर पर बात करता तो कहती। मेरे मरने की तैयारी कर लो।

एक दिन आसमा की मां की बात एक सामाजिक कार्यकर्ता से हुई। उन्होंने अपने घर की सारी स्थिति पर चर्चा की। सामाजिक कार्यकर्ता ने मां को समझाया कि आपका व्यवहार बेटी के प्रति गलत है। आप उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही हैं। आप अपना बर्ताव बदलें नहीं तो आप बेटी को खो देंगी। तब मां ने कहा, हां मेरी गलती है। मैं उसकी शादी को लेकर परेशान रहती हूं। शायद इसी कारण मुझ में चिड़चिड़ापन आ गया है। मैं अब ऐसा कभी नहीं करूंगी। कोई उसे भी समझा दे, ताकि वह मरने की बात न करे।

तब आसमा की काउंसलिंग की गई। उसे समझाया गया। समस्या का समाधान मरने में नहीं है। हमें हर परिस्थिति में खुश रहना चाहिए और हर समस्या का मुकाबला जमकर करना चाहिए। जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ, उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। तुम बहुत खूबसूरत हो, क्योंकि इंसान की पहचान उसके रंग रूप से नहीं होती है। बल्कि इंसान की पहचान उसके गुणों से होती है। जो तुम्हारे में भरपूर है। तुम अपने गुणों से पूरी दुनिया जीत सकती हो, इसलिए जिंदगी हमें खुश होकर जीना चाहिए। यह हमें सिर्फ एक बार मिलती है। इसलिए तुम इसे खोने के बजाय खुलकर जियो, क्योंकि जिंदगी बहुत खूबसूरत है।

यह सुनकर उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कुराहट आई और वह बोली हां मैंने सुना है मरना पाप है। अब मैं जिऊंगी आजाद पंछी की तरह।