Aishbagh Janta Quarter: भरी बरसात में नगर निगम कहता है- खाली कर दो मकान!

Covid Tales(Aishbagh Janta Quarter: जनता क्वार्टर के 3000 रहवासियों के सिर पर छत छिनने का खतरा मंडरा रहा है। जर्जर हो चुके मकानों को नगर निगम तोड़ देना चाहता है, ताकि कोई हादसा न हो, लेकिन इससे जो 600 परिवार प्रभावित होंगे वे कहां जाएंगे? क्या बेघर हो जाने से बड़ा भी कोई हादसा होगा? खुले आसमान के नीचे 3000 जिंदगियां कैसे रहेंगी? ऐसे कई सवाल ऐशबाग जनता क्वार्टर के बाशिंदों के दिलों में हूक की तरह उठ रहे हैं। इन सवालों इनके पीछे के दर्द और चेहरे की मासूसी को बस्ती में काम कर रही साथी सायरा खान ने शब्दों में दर्ज किया है।)

बारिश सर पर हो और परिवारों से मकान खाली करने के लिए कहा जाए! यह काम कोई जालिम मकान मालिक करे तो आप प्रशासन के पास गुहार लगा सकते हैं। अगर यही काम खुद सरकार या प्रशासन करे तो पीड़ित किससे मदद की गुहार करें! यह विडंबना है जनता क्वार्टर में रहने वाले सैकड़ों लोगों की। जनता क्वार्टर में रहने वाले ज्यादातर लोगों ने स्टांप पर नोटरी से मकान खरीदा है। 50 से ज्यादा लोगों के पास रजिस्ट्री है। इस में कुछ किराएदार भी रहते हैं। इसके बावजूद नगर निगम ने कहा है, मकान खाली करो।

बारिश का मौसम शुरू हो गया है। गर्मी में तो लोग कहीं भी दिन और रात गुजार लेते हैं, लेकिन बारिश में हर किसी को छत की दरकार होती है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सैकड़ों लोगों का ठिकाना जनता क्वार्टर हैं। इस क्वार्टर में रहने वाले परिवारों को हर साल की तरह बारिश से पहले नगर निगम ने नोटिस थमा दिया है। इसमें साफ तौर से मकान खाली करने के लिए कहा गया है। साथ ही यह चेतावनी भी है कि मकान जर्जर है, कोई घटना हो जाती है तो इसका मुआवजा नहीं दिया जाएगा।

संवेदनहीन बात यह है कि लोगों के रहने का इतंजाम किए बिना उनसे भरी बरसाद में कहा जा रहा है कि वह कहीं और शिफ्ट हो जाएं। यानी साफ तौर से कहा गया है कि निगम की कोई जिम्मेदारी नहीं है। देश में रहने वाले हर नागरिक की जिम्मेदारी स्टेट यानी राज्य यानी सरकार की है। यह अधिकार संविधान से मिला हुआ है। उसी सरकार का अंग नगर निगम संविधान के इस अधिकार की अवहेलना करता है।

यह नोटिस 27 मई 2021 को दिया गया है। हाउसिंग बोर्ड नगर निगम ने बोर्ड लगाया है और सर्वे किया है। 13 जून 2021 को नगर निगम ने एलान किया कि लोग मकान खाली कर दें। इसका कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। जिनके पास रजिस्ट्री है, सिर्फ उनको ही मकान मिलेगा। अभी आप लोग कहीं और शिफ्ट हो जाएं।

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इस बारे में कुछ लोगों से बात की गई। चालीस साल की फरहत खान पति नावेद खान के साथ जनता कॉटेज में पिछले पांच साल से रह रही हैं। नावेद मजदूरी का काम करते हैं। उन्होंने तबस्सुम से स्टांप पर नोटरी करा कर 72000 रुपये में मकान नंबर 411 खरीदा था। अजीब बात यह है कि नोटिस पीसी शुक्ला के नाम से आता है। एक सप्ताह पहले बोर्ड लगाया गया कि जर्जर मकान का नगर निगम द्वारा सर्वे किया गया है। बारिश से पहले मकान खाली कर दें। कहीं और अपना इंतजाम कर लें। पिछले सप्ताह जो अधिकारी सर्वे करने आए थे उन्होंने कहा था जिनकी रजिस्ट्री है, उनको मकान देंगे। नावेद सवाल करते हैं कि हम घर छोड़ कर अचानक कहां जाएं। बता दें कि यहां 600 क्वार्टर हैं। इनमें से सिर्फ 50-60 लोगों के पास रजिस्ट्री है।

37 साल की सायमा बी काफी उलझन में है। उनसे भी मकान खाली करने को कहा गया है। वह पति रईस खान के साथ मकान नंबर 409 में रहती हैं। उन्हें भी एक हफ्ते पहले घर खाली करने का नोटिस दिया गया है। उन्होंने बताया कि हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम वाले कह रहे हैं कि जगह नहीं देंगे। मकान खाली कर दो। अगर कोई घटना हो जाती है तो कोई मुआवजा भी नहीं दिया जाएगा। वह सवाल करती हैं कि हम तुरंत कहां जाएं। हमारे पति मजदूरी करते हैं। हमारे पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि किराए पर मकान ले सकें।

फूल बानो की समझ में नहीं आ रहा है कि वह इस बारिश में कहां अपना बसेरा बनाएं। उनके पति अकबर अंसारी का काम मजदूरी है। 20 साल से जनता क्वार्टर के मकान नंबर 154 में रह रहे हैं। एक सप्ताह पहले उन्हें नोटिस आया था कि आठ दिन में मकान खाली कर दो। उन्होंने बताया कि हर साल बारिश में नोटिस आता है। हमने कहा हमें मकान तो दो। इस पर हमसे कहा गया कि आप अभी कहीं और इंतजाम कर लो। यह प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है। यह मकान जर्जर घोषित किया गया है। वह सवाल करती हैं कि हम अचानक कहां जाएं।

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नजमा भी नगर निगम के नोटिस से परेशान हैं। पति अनवर ने नोटरी पर 40 हजार रुपये में 335 नंबर मकान खरीदा था। उनसे भी निगम के लोगों ने मकान खाली करने को कहा है।

अमरीन के पति परवेज मजदूरी करते हैं। वह मकान नंबर 356 में रहती हैं। वह मकान मालिक रजिया के मकान में 15 साल से किराए पर रह रहे हैं। अब उनसे भी मकान खाली करने को कहा गया है। हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम ने साफ कह दिया है कि किराएदार को कोई मुआवजा और घर नहीं दिया जाएगा। इसी तरह शबनम की रातों की नींद गायब हो गई है। उनके पति अकरम का निधन हो गया है। उनके गुजारे एक मात्र जरिया जनता क्वार्टर का मकान नंबर 353 है। उन्होंने इसे किराए पर उठा रखा है। अब गुजारे का उनका यह जरिया भी खत्म होने वाला है।

रुखसाना के पति मजदूर हैं। उन्होंने पैसे जोड़गांठ कर किसी तरह से मकान नंबर 363 361 नोटरी पर खरीदा था। उनकी पर्ची सुंदरलाल के नाम पर आती है। उनसे कहा गया है कि मकान अपने नाम कराओ और वह बाकी किस्त जमा करें। इसके बाद ही उन्हें मकाम मिलेगा। फिलहाल तो उनसे भी मकान खाली करने को कहा गया है। रुखसाना ने कहा कि वह अचानक पैसे कहां से लेकर आएं, जिससे किस्त भर सकें।

नाजमा अंसारी के पति मोहम्मद इब्राहीम अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने मकान नंबर 365-368, 1996 में खरीदा था। उनसे अचानक मकान खाली करने को कहा जा रहा है। उन्हें दूसरी जगह मकान भी नहीं दिया जा रहा है। जहीरा की परेशानी भी कुछ इसी तरह की है। उनके पति नसीम अंसारी भी मजदूरी करते हैं। मकान नंबर 340 को उन्होंने नोटरी पर खरीदा था। उन्हें इस मकान में रहते 30 साल गुजर गए हैं। अब मकान खाली करने को कहा जा रहा है। मोहम्मद नाजिम अंसारी भी मजदूरी करते हैं। उनसे उनका मकान नंबर 366 खाली करने के लिए कहा गया है। आबिद हुसैन से 337 मकान नंबर खाली करने को कहा गया है। वह टेलरिंग का काम करते हैं। वह सवाल करते हैं कि बारिश में नोटिस देते हैं लेकिन घर बनाकर नहीं देते। ऐसे में हम कहां जाएंगे। इसकी फिक्र भी उन्हें होनी चाहिए।