Red Scare 1917 USA propaganda

जब लोकतंत्र से डरने लगा अमेरिका: रूस की क्रांति और रेड स्केयर की शुरुआत

Red Scare 1917 USA propagandaसचिन श्रीवास्तव

1917 में रूस की समाजवादी क्रांति ने दुनिया की राजनीति में भूचाल ला दिया था। जब बोल्शेविकों ने ज़ार की निरंकुश सत्ता को उखाड़ फेंका और “श्रमिकों और किसानों की सरकार” स्थापित की, तो अमेरिका और पश्चिमी देशों को यह खतरा महसूस हुआ कि यह विचारधारा पूरी दुनिया में फैल सकती है। इस डर ने अमेरिका को लोकतंत्र के नाम पर एक नई नीति अपनाने के लिए मजबूर किया—’रेड स्केयर’ यानी समाजवाद के खिलाफ भय और दमन की नीति।

अमेरिका ने रूस की क्रांति के बाद से 1945 तक दुनियाभर में लोकतांत्रिक आंदोलनों को कुचला, तानाशाही को बढ़ावा दिया और खुद को ‘लोकतंत्र का रक्षक’ दिखाने के बावजूद साम्राज्यवादी नीतियां अपनाईं।

रूसी क्रांति और अमेरिका का डर (1917-1920)
1917 में जब रूस में व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने सत्ता हासिल की, तो उन्होंने सबसे पहले ज़ार निकोलस द्वितीय के शासन को खत्म किया और समानता, मजदूरों के अधिकार, सामूहिक कृषि, और पूंजीवादी आर्थिक शोषण के अंत की बात की।

यह दुनिया की पहली सफल समाजवादी क्रांति थी और इससे पूंजीवादी देशों में खलबली मच गई। अमेरिका और यूरोप की सरकारों को डर था कि अगर रूस में समाजवाद सफल रहा, तो उनके देशों में भी मजदूर वर्ग इसकी मांग करने लगेगा।

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अमेरिका की पहली प्रतिक्रिया: सैन्य हस्तक्षेप और रूस की नाकाबंदी
अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर 1918 में रूस के खिलाफ सैन्य हस्तक्षेप किया। अमेरिकी सेना और ब्रिटिश सेना ने मिलकर “व्हाइट आर्मी” (ज़ार के समर्थकों) की मदद की, ताकि बोल्शेविक सरकार को गिराया जा सके। 1918-1920 के बीच अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर सोवियत रूस की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए नाकाबंदी (economic blockade) लागू कर दी। लेकिन यह रणनीति विफल रही, और लेनिन की सोवियत सरकार मजबूत होती गई।

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Red Scare 1917 USA propagandaअमेरिका में ‘रेड स्केयर’ और लोकतंत्र का दमन (1920-1939)
अमेरिका के भीतर समाजवाद का डर इतना ज्यादा था कि उसने दमन की अपनी नीति को छुपाने की भी कोशिश नहीं की। 1920 के दशक में अमेरिका ने अपने देश में मजदूर आंदोलनों और समाजवादी विचारधारा को कुचलने के लिए ‘रेड स्केयर’ नीति अपनाई। 1920 में ‘पाल्मर रेड्स’ (Palmer Raids) के तहत हजारों मजदूर नेताओं, वामपंथी कार्यकर्ताओं और समाजवादियों को गिरफ्तार किया गया। अमेरिकी सरकार ने कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की और ट्रेड यूनियनों पर कड़े प्रतिबंध लगाए।

अमेरिकी विदेश नीति: वामपंथी आंदोलनों को कुचलना
अमेरिका ने लैटिन अमेरिका, यूरोप और एशिया में वामपंथी आंदोलनों को कुचलने के लिए कड़ी कार्रवाई शुरू की। 1920-1930 के दशक में अमेरिका ने मध्य और दक्षिण अमेरिका के कई देशों में सैन्य हस्तक्षेप किया, ताकि वहां के समाजवादी आंदोलनों को दबाया जा सके। स्पेनिश गृहयुद्ध (1936-1939) के दौरान, अमेरिका ने फासीवादी तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रांको का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया, जबकि सोवियत संघ ने लोकतांत्रिक सरकार का समर्थन किया।

इससे साफ होता है कि अमेरिका ने लोकतंत्र की रक्षा करने के बजाय, उन सरकारों का समर्थन किया जो उनके पूंजीवादी हितों को सुरक्षित रख सकती थीं।

द्वितीय विश्वयुद्ध और अमेरिका की रणनीति (1939-1945)
जब 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ, तो अमेरिका और ब्रिटेन ने शुरू में रूस की मदद नहीं की। लेकिन जब 1941 में हिटलर ने सोवियत संघ पर हमला किया (ऑपरेशन बार्बरोसा), तो अमेरिका को मजबूरन सोवियत संघ के साथ सहयोग करना पड़ा। स्टालिन, चर्चिल और रूजवेल्ट के बीच समझौता हुआ कि युद्ध के बाद दुनिया में शांति और लोकतंत्र स्थापित करने के लिए एक नई व्यवस्था बनाई जाएगी।

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अमेरिका की नई रणनीति: युद्ध के बाद सोवियत संघ को घेरने की योजना
हालांकि अमेरिका ने सोवियत संघ के साथ मिलकर नाज़ियों को हराया, लेकिन वह पहले से ही सोवियत संघ के खिलाफ एक नई साजिश रच रहा था। अमेरिका को डर था कि अगर सोवियत संघ मजबूत हुआ, तो समाजवादी विचारधारा पूरी दुनिया में फैल जाएगी। इसलिए, अमेरिका ने 1945 में जापान पर परमाणु बम गिराकर यह संकेत दिया कि वह अब दुनिया की नई महाशक्ति है। युद्ध के बाद अमेरिका ने ‘मार्शल प्लान’ के तहत यूरोप को आर्थिक सहायता दी, लेकिन शर्त यह थी कि वे समाजवादी विचारधारा को अपनाने की कोशिश न करें।

अमेरिका के लोकतंत्र विरोधी चेहरे की शुरुआत
कुल मिलाकर 1917 से 1945 तक अमेरिका ने जो रणनीतियां अपनाईं, वे भविष्य की अमेरिकी विदेश नीति की नींव बनीं। अमेरिका ने लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर केवल उन्हीं सरकारों का समर्थन किया जो उसके आर्थिक और सामरिक हितों के लिए फायदेमंद थीं। वामपंथी और समाजवादी आंदोलनों को कुचलने के लिए अमेरिकी सरकार ने ‘रेड स्केयर’ की नीति अपनाई। अमेरिका ने पहले तो सोवियत संघ के साथ मिलकर हिटलर का सामना किया, लेकिन युद्ध के बाद तुरंत उसके खिलाफ साजिशें शुरू कर दीं।

1945 के बाद, अमेरिका ने इसी नीति को आगे बढ़ाया, जिसे शीतयुद्ध और बाद में इराक युद्ध तक देखा जा सकता है।