अमेरिकी साम्राज्यवाद और वैश्विक संघर्ष में भारत की भूमिका
मौजूदा समय में वैश्विक राजनीति एक ऐतिहासिक मोड़ से गुजर रही है। आने वाले 5 से 10 साल यह तय करेंगे कि वैश्विक व्यवस्था कैसी होगी। बीते 3 दशकों में अमेरिकी साम्राज्यवाद, ग्लोबलाइजेशन और युद्ध ने एक ऐसी पृष्ठभूमि तैयार कर दी है, जिसके बाद आने वाले समय की आहट बहुत तेज हो गई है। आगामी कुछ दिनों में हम विभिन्न लेखों की सीरीज के जरिये “लोकतंत्र की आड़ में फैले अमेरिकी साम्राज्यवाद, युद्ध और वैश्विक शक्ति संघर्ष में भारत की भूमिका” पर एक गहरी दृष्टि डालने की कोशिश कर रहे हैं।
असल में, 20वीं और 21वीं सदी की अब तक की राजनीति को अगर एक वाक्य में समेटना हो, तो कहा जा सकता है— “लोकतंत्र की आड़ में सत्ता का खेल।” अमेरिका, जिसने खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र समर्थक बताया, दरअसल उसने ही सबसे ज्यादा लोकतांत्रिक आंदोलनों को कुचला है।
संविधान लाइव ने इस पूरी श्रृंखला में यह समझने की कोशिश है कि कैसे अमेरिका ने लोकतंत्र, मानवाधिकार और स्वतंत्रता के नाम पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हस्तक्षेप किया, सरकारें गिराईं और युद्ध भड़काए। रूस की क्रांति के समय से लेकर हालिया यूक्रेन युद्ध तक, अमेरिका ने अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करके दुनिया को अपने हितों के अनुरूप मोड़ा।
इसमें कई ऐतिहासिक घटनाओं और नीतियों का विश्लेषण करने की कोशिश है। जैसे – शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने कैसे जन आंदोलनों को कुचला और CIA के जरिए दुनिया भर में तख्तापलट कराए? मध्य-पूर्व में अमेरिका ने कैसे लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर युद्ध लड़े, और आखिरकार इस पूरे इलाके को अस्थिर कर दिया? अरब स्प्रिंग, सीरिया युद्ध और आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के नाम पर अमेरिका ने कैसे नए संघर्षों को जन्म दिया? चीन और रूस के खिलाफ अमेरिका की नई रणनीतियां क्या हैं? और क्या इससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ रहा है? अमेरिका के पतन के बाद की संभावित वैश्विक व्यवस्था कैसी होगी?
इस लेख सीरीज का उद्देश्य केवल अमेरिकी साम्राज्यवाद की आलोचना करना नहीं है, बल्कि यह समझना भी है कि विश्व राजनीति में शक्ति संतुलन कैसे काम करता है। अमेरिका की रणनीतियों के पीछे का तर्क, वैश्विक संघर्षों के असर, और भारत जैसी उभरती ताकतों की भूमिका— इन सभी पहलुओं को तार्किक ऐतिहासिक दृष्टि से समझते हुए हम एक साथ रखने की कोशिश कर रहे हैं।
उम्मीद है कि इन्हें पढ़ने के बाद, पाठकों को यह स्पष्ट समझ मिलेगी कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में सत्ता का खेल किस तरह से लोकतंत्र की आड़ में खेला जाता है, और आने वाले दशकों में विश्व राजनीति किस दिशा में जा सकती है।
अमेरिकी साम्राज्यवाद और वैश्विक संघर्ष में भारत की भूमिका
1. USA foreign intervention: लोकतंत्र की आड़ में सत्ता का खेल
2. अमेरिका द्वारा वैश्विक लोकतंत्र और जनक्रांतियों के दमन की रणनीति
3. जब लोकतंत्र से डरने लगा अमेरिका: रूस की क्रांति और रेड स्केयर की शुरुआत
4. लोकतंत्र की हत्या: जन आंदोलनों को कुचलने की साजिशें (1945-1991)
5. लोकतंत्र के नाम पर साम्राज्यवाद: अमेरिका का मध्य-पूर्व में खूनी खेल (1991-2003)
6. लोकतंत्र के नाम पर साम्राज्यवाद: अमेरिका की अरब क्रांति और सीरिया युद्ध में भूमिका (2003-2019)
7. लोकतंत्र की आड़ में साम्राज्यवाद: अमेरिका का रूस और चीन के खिलाफ छेड़ा गया युद्ध (2019-वर्तमान)
8. अमेरिकी साम्राज्यवाद का भविष्य: क्या अमेरिका 21वीं सदी में भी विश्व शक्ति बना रहेगा?
9. अमेरिका के पतन के बाद की दुनिया: क्या नई विश्व व्यवस्था बनेगी?
10. तीसरे विश्व युद्ध की आशंका: क्या दुनिया एक बड़े संघर्ष की ओर बढ़ रही है?
11. तीसरे विश्व युद्ध की आशंका: सभी संभावित परिदृश्यों पर एक नजर
12. वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका
13. भारत की वैश्विक भूमिका और मोदी—भाजपा का हिंदुत्वादी एजेंडा
14. मोदी के बाद भाजपा: कौन निभाएगा वैश्विक लीडर की भूमिका
15. भारत में संघ (RSS) की योजना और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य
16. बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में संघ (RSS) का भविष्य
17. संघ विहीन भारत की भूमिका और वैश्विक राजनीतिक ताकत