Covid Tales: ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों का मन हो रहा उचाट

सायरा खान

Covid Tales: आज की मौजूदा परिस्थितियों ने दुनिया के हालात बदल के रख दिए हैं। इसका प्रभाव सभी जगह दिख रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। ऑनलाइन शिक्षा पर नजर डालें तो महसूस करेंगे कि जो बेसिक चीजें स्कूल में बच्चों को बोर्ड पर सिखाई जाती थीं वह बंद हो गई हैं। यही वजह है कि बच्चों को आनलाइन पढ़ाई में बहुत ज्यादा समझ नहीं आ रहा है। बच्चे कापियों पर लिखकर शिक्षक को दिखाते थे। उनकी गलतियां तुरंत सुधारी जाती थीं और इससे उनकी शिक्षा की नींव मजबूत होती थी।

ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों का शैक्षणिक स्तर खत्म हो रहा है। उनको जो पढ़ाया जा रहा है, वह बच्चों को समझ में नहीं आ रहा है। इस संबंध में आठवीं और नवीं के बच्चों सरिता, प्रवीण और उनके माता-पिता से बात की गई तो उन्होंने आनलाइन शिक्षा को लेकर कई बड़ी दिक्कतों के बारे में बताया।

सरिता का कहना है कि मेरी कक्षा में 45 बच्चे हैं। हम सब एक साथ सरकारी स्कूल में पढ़ रहे थे। रोज स्कूल जाते थे। हमें पढ़ाई के साथ खेलने और दोस्तों से मिलने का भी मौका मिलता था। हर विषय का एक पीरियड लगता था। मैडम हमें पाठ पढ़ातीं और समझाती थीं। बीच-बीच में वह हमसे मुहावरे, कविता का अर्थ, गणित सूत्र और कई सारे प्रश्न भी पूछती थीं। समझ में नहीं आता था तो दोबारा बताती थीं। फिर बोर्ड पर प्रश्नों के उत्तर लिखकर कॉपी में भी लिखवाती थीं। हम सब कक्षा में एक साथ बैठते थे। कभी भी उनसे प्रश्न करके उत्तर पूछ लेते थे। हमें उत्तर तुरंत मिल जाता था। मैडम हमें घर से होमवर्क करने को भी देती थीं। हम होवर्क करने के बाद उसे याद कर लिया करते थे। कॉपी चेक होती थी कि हमने होमवर्क किया है या नहीं।

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सरिता ने कहा कि इस तरह से हमें सब याद हो जाता था और जब मैडम हमारा टेस्ट लेती थीं तो हम अच्छे नंबर से उसमें पास होते थे। यदि कोई फेल हो जाता था तो मैडम कहती थीं और ज्यादा मेहनत करो। तुम अच्छे नंबर से पास हो सकते हो। हमारी शीतल मैडम तो बोर्ड पर चित्र बनाकर समझाती थीं। वह कहती थीं यह पर्यावरण का चित्र बना है इसे बनाओ और इस पर टिप्पणी लिखो। जब हम चित्र बनाते थे तो हमें बहुत अच्छा लगता था, और समझ में आता था कि पर्यावरण चक्र कैसे बनता है।

वहीं कक्षा 9 के छात्र प्रवीण का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई करना बहुत कठिन और बुरा है। मुझे समझ नहीं आता है। छोटे-छोटे वीडियो होते हैं, जिसमें प्रश्न-उत्तर बताए जाते हैं। उत्तर तो फिर भी कॉपी करके रख लो, लेकिन गणित कैसे करें। उसके समीकरण सूत्र, गुणा, भाग और भी बहुत सारी चीजें हैं। जो समझ में नहीं आती हैं। एक जगह बैठे-बैठे थक जाते हैं। एक हाथ में मोबाइल पकड़ो और दूसरे हाथ से कॉपी पर लिखो। बहुत दिक्कत होती है। चीजों को समझने के लिए बार-बार वीडियो देखना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि कभी-कभी नेटवर्क न मिलने के कारण क्लास छूट जाती है। लगातार मोबाइल पर बने रहने के कारण आंखों में दर्द और सिर में तकलीफ होती है। यदि हम बैलेंस न डलवाएं या हमारे पास स्मार्टफोन न हो तो हम पढ़ भी नहीं सकते हैं। हमारी क्लास के आधे से ज्यादा बच्चे इसी कारण ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। कुछ दोस्त घर आकर साथ मोबाइल पर देखते हैं। और नोट्स बनाकर ले जाते हैं। तब बड़ी मुश्किल से पढ़ते हैं। जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है वह तो शिक्षा से वंचित हो गए हैं उनकी तो पढ़ाई ही रुक गई है, क्योंकि उनके पास मोबाइल खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।

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प्रवीण ने कहा कि इससे अच्छी तो हमारे स्कूल की पढ़ाई थी। कम से कम साथ बैठकर लिखते-पढ़ते मस्ती करते थे। आधी छुट्टी में खेलते हैं। जब स्कूल में कोई कार्यक्रम होता था। तो उस में भाग लेते थे। कितना मजा आता था। बाल सभा होती थी। शनिवार के दिन हम कितने खुश होकर स्कूल जाते थे, लेकिन जब से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई है, तब से हम खुश नहीं हैं। पढ़ने का मन नहीं करता है। एक कोने में अकेले बैठकर पढ़ो। किसी के साथ मस्ती नहीं कर सकते न ही किसी से बात। ऑनलाइन पढ़ाई बंद कर देना चाहिए। यदि स्कूल खुल जाए तो कितनी अच्छी बात होगी। हम सब साथ बैठकर समान शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा हम बच्चों को बीमार कर रही है।

वहीं प्रवीण की माता जी का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा बच्चों के हित में नहीं है। इसका बहिष्कार करना चाहिए ताकि सब बच्चे पढ़ें और आगे बढ़ें, जिससे उनका उज्जवल भविष्य बन सके।