कोरोना वैक्सीनेशन से पहले जानने लायक बातें

कोरोना वैक्सीनेशन से पहले जानने लायक बातें

Parwaaz Team

अधिकतर मामलों में दी जाने वाली रेमेडिसविर की खुराक सभी के लिए नहीं है। याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है, इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर रेमेडिसविर की खुराक अलग हो सकती है। इसमें जो गर्भवती महिलाएं हैं, उनको दुष्प्रभाव से बचने के लिए इस दवा के इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से एक बार पूछना जरूरी है।

अनुसंधान में प्रभावी रहा रेमेडिसविर
बीते साल दिसंबर महीने में ब्रिटेन स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने कोरोना वायरस से संक्रमित और दुर्लभ न्यूड सिस्टम वाले एक मरीज को रेमेडिसविर दवा दी थी। इलाज के दौरान पाया गया कि उस मरीज के स्वास्थ्य में जबरदस्त सुधार हुआ। यही नहीं उसके शरीर में कोरोना वायरस का खात्मा भी हो गया। इस अध्ययन को नेचर कम्युनिकेशंस ने प्रकाशित किया था। उसी के बाद भारत सहित कई देशों में रेमेडिसविर पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा था कि दवा उस समय ज्यादा कारगर होती है जब संक्रमण के शुरुआती स्टेज में मरीज को दिया जाए। साथ ही स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रेमेडिसविर लेने से पहले डॉक्टर से पूछना जरूरी है।

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आइए जानते हैं कोविड-19 के वायरस के बारे में
कोविड यह एक ऐसी बीमारी है, जो सार्स सीओवी-2 नाम के वायरस की वजह से होती है। यह वायरस कोरोना वायरस के परिवार का हिस्सा है। इस बीमारी के वायरस हवा में फैल जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बीमारी के वायरस हवा में या फिर किसी सतह पर कई घंटे तक जिंदा रह सकते हैं।

इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में चिकित्सकों का मत है कि यह आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करती है। कोई बैक्टीरिया या वायरस जब आपके शरीर में जाता है तो आप की प्रतिरोधक क्षमता उससे लड़ती है। इसी के चलते आप को बुखार होता है। ऐसे में जब आपको वैक्सीन दी जाती है तो भी आपका शरीर प्रतिक्रिया करता है, इसीलिए आपको साइड इफेक्ट महसूस होते हैं। प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि जो सार्स सीओवी-2 नाम के वायरस के खिलाफ बनाई गई वैक्सीन अत्यधिक प्रभावी है यानी 90 फीसदी से ऊपर। इसका मतलब है कि वह मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित करने में सक्षम है। खतरे के संकेत के साथ पूरी तरह पर्याप्त है, जिसका मतलब है यह वैक्सीन बेहद शक्तिशाली है।

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यह जूनेटिक संक्रमण है, जो जानवरों से इंसान में फैलता है। इसका संबंध सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम एसएआरएस और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम एमईआरएस वायरस से होता है।

कोविड-19 की वैक्सीन लगवाने के बाद के दिशा-निर्देश
कुछ डॉक्टरों का मत है कि जो कोविड-19 वैक्सीन लगवा चुके हैं, उनको निम्न बातों पर ध्यान रखना चाहिए-
1. भरपूर मात्रा में पानी पिएं।
2. ककड़ी, खीरा यानी पानी की पूर्ति वाले फल-सब्जी खाएं, जिसमें भरपूर मात्रा में फाइबर हो ऐसे फलों का सेवन करें।
3. फाइबर युक्त अनाजों को डाइट में शामिल करें।

टीका लगवाने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. किडनी कि जांच करानी चाहिए। रिपोर्ट सामान्य होनी चाहिए।
2. लीवर में इंफेक्शन की जांच सामान्य होनी चाहिए।
3. निमोनिया की जांच करानी चाहिए।

(ये प्रालेख डॉ. अजय मोहन, एम्स से बातचीत पर आधारित है।)