बुरहानपुर में पात्र वन अधिकार दावेदार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमला!

वन विभाग पर अवैध कटाई को संरक्षण देने का आरोप, आदिवासियों ने दी आंदोलन की चेतावनी

मध्य प्रदेश वन विभाग एक बार फिर विवादों में घिरता दिख रहा है। खबर है कि बुरहानपुर जिले के वन विभाग द्वारा कोर्ट में आए वन अधिकार दावेदार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को अवैध रूप से अपहरण कर, रेंज ऑफिस में रात भर बंद रखकर बर्बरतापूर्व मारपीट की गई। वहीं यह भी आरोप है कि जिले में वन अमले के संरक्षण में बड़े पैमाने पर वन की अवैध कटाई की जा रही है। मामले में कोर्ट से उठाए गए आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश जमरे एवं प्यारसिंह वास्कले द्वारा कटाई के संबंध में जानकारी निकाल प्रशासन से शिकायत भी करते रहे हैं।

जागृत आदिवासी दलित संगठन के मुताबिक, जिला कलेक्टर द्वारा संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित कैलाश के अस्पताल खर्च में आर्थिक सहायता दी गई है। हालांकि दोषियों पर कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है। संगठन द्वारा जिम्मेदार वन अमले एवं अधिकारियों पर तुरंत दंडात्मक कार्यवाही की मांग शासनप्रशासन के सामने रखी गई है, जिसके न होने पर बुरहानपुर सहित निमाड़ क्षेत्र के अन्य जिलों के आदिवासियों द्वारा आन्दोलन छेड़ने की चेतावनी दी गई है।

मामले में जागृत दलित आदिवासी संगठन का कहना है कि आदिवासी कार्यकर्ता कैलाश जमरे और प्यार सिंह वन अधिकार अधिनियम और आदिवासियों के कानूनी अधिकारों के बारे में लगातार प्रचार करने में सक्रिय रहते हैं और इन्हें यह कहते हुए मारा गया कि “तुम लोग ज्यादा कानून कर रहे हो इस क्षेत्र में”! इन पर कई मनगढ़ंत झूठे प्रकरण बना कर अगले दिन कोर्ट में पेश किया गया। कैलाश जमरे रात भर हुए मार पीट के कारण गश खा कर कोर्ट में ही बेहोश हो गए, वह 6 दिन अस्पताल में भर्ती रहे। इनके अलावा उन्हीं के गाँव, रहमानपुर, के दो अन्य आदिवासी, जबर सिंग और सोमला को पहले उठाया गया था, और उनकी जमानत लेने जब कैलाश भाई और प्यार सिंह कोर्ट पहुंचे तो वहां से वन अमले ने उन्हें भी बंधक बना लिया।

स्थानीय प्रशासन को संगठन द्वारा अवैध कटाई के खिलाफ शिकायत

क्या है मामला
कैलाश जमरे एवं प्यारसिंह वास्कले की ओर से लगातार क्षेत्र में चल रही कटाई के बारे में जानकारी निकालने की कोशिश की जा रही थी। संगठन के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने 27 अगस्त 2020 को कलेक्टर कार्यालय में राजनैतिक ताकतों एवं वन विभाग की मिलीभगत से चल रहे अवैध कटाई के बारे में शिकायत की थी। बताया जाता है कि पिछले साल वन विभाग द्वारा पात्र दावेदारों के खेतों पर सिवल गाँव में JCB चला कर फसलों को नष्ट किया गया था एवं दावेदारों पर अवैध फायरिंग की गई थी।

वन विभाग केवल गरीब आदिवासियों पर ही बल प्रयोग करता नजर आ रहा है। जो दलाल राजनैतिक संरक्षण एवं वन विभाग की मिलीभगत के साथ अवैध कटाई कर रहे हैं, उन पर 2 महीने से कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है।
जागृत आदिवासी दलित संगठन

हालिया घटनाक्रम
रहमानपुर निवासी एवं वन अधिकार दावेदार कैलाश जमरे एवं प्यारसिंह वास्कले रविवार 30 अगस्त को जिला न्यायालय अपने गाँव के साथियों की जमानत लेने आए थे। मामले में आरोपी जबरसिंह एवं सोमला को झूठे केस में फंसा कर उन्हें शनिवार 29 अगस्त को बाज़ार से ही उठा लिया गया था। आरोप है कि उन पर गैर जमानती धाराओं में फर्जी केस लगाएं हैं। इन सभी धाराओं के अंतर्गत जबरसिंह एवं चमारसिंह के खिलाफ कोई भी जप्ती सबूत नहीं पेश किया गया। हालांकि न्यायालय ने ज़मानत अर्जी खारिज कर उन्हें खंडवा जेल भेज दिया।

जागृत आदिवासी दलित संगठन के मुताबिक, जमानत की सुनवाई के बाद कैलाश एवं प्यारसिंह को न्यायालय से ही खकनार रेंज के रेंजेर अभय सिंह तोमर सहित अन्य वन अमले द्वारा उठाया गया। कैलाश एवं प्यारसिंह न केवल वन अधिकार दावेदार हैं परन्तु सामाजिक कार्यकर्त्ता भी हैं। 30 अगस्त के रात को गांववालों को पता चला के वन अमले उन्हें ले गए है, तो 15 किलोमीटर पैदल चल कर वे खकनार थाने पर शिकायत करने पहुंचे , जहाँ उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर, उन्हें उल्टा गलत जानकारी के साथ गुमराह किया गया कि कैलाश और प्यारसिंह को बुरहानपुर भेज दिया गया है। जानकारी लेने आए लोगों पर ही केस दर्ज करने की धमकी दी गई।

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संगठन के मुताबिक, इस बीच कैलाश एवं प्यारसिंह को रेंज ऑफिस में ले जाकर रखा गया एवं उनके साथ बहुत मारपीट की गई। जागृत आदिवासी दलित संगठन ने खकनार रेंजर अभय सिंह तोमर, रूपा मोरे, नाकेदार सोलंकी, बोरदली रेंज के डोंगरसिंह कनासे, एक रेंजर एवं अन्य वन अमले द्वारा बारी बारी कर, हाथ पैर पकड़ कर लठ से कमर के नीचे पीटने का आरोप लगाया है।

बताया गया है कि मारपीट से बदहाल कैलाश कोर्ट में आते आते कमजोरी से बेहोश हो गए। न्यायालय परिसर में बेहोशी के बाद कैलाश को छोड़ कर ज्यादातर वन विभाग का अमला डर के मारे भाग खड़ा हुआ। इसके बाद कैलाश को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनके परिवार के अनुसार, उन पर ध्यान नहीं दिया गया एवं डॉक्टरों द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं। एमएलसी के बारे में न ही कैलाश न उनके घर वालों को कोई भी जानकारी मिली।

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जागृत आदिवासी दलित संगठन की मांगें
1. तुरंत खकनार रेंज के रेंजर अभय सिंह तोमर, रूपा मोरे, दोईफोडिया बीट के नाकेदार राजेश सोलंकी, बोरदली रेंज के रेंजर, एवं अन्य वन अमले द्वारा कैलाश एवं प्यारसिंह के साथ हुई अवैध मारपीट के खिलाफ वन अमले एवं दोषी वन विभाग अधिकारियों पर अपहरण, अवैध रूप से बंधक बनाने और मारपीट के संबंध में भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम के सम्बंधित धाराओं के साथ FIR दर्ज की जाए और उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए।

2. वन अधिकार दावेदारों पर लगे जाने वाले फर्जी केसों को तुरंत ख़ारिज किए जाए। बिना सबूत एवं बिना ठोस इल्जाम के वन विभाग द्वारा वन अधिकार दावेदारों पर लगातार झूठे केस लगाकर उन्हें जेल भिजवा कर आदिवासी समाज में दहशत फ़ैलाने की कोशिश की जा रही है।

3. वन विभाग द्वारा अकारण व बिना गिरफ्तारी के सुचना दिए जबरसिंग पिता केरिया एवं सुमला पिता चमारसिंह को उठाए जाने के लिए ज़िम्मेदार वन विभाग अधिकारीयों पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए, उनके साथ हुए व्यवहार में उनके बयान अनुसार कार्यवाही की जाए।

4. घाघरला में वन कटाई को वन विभाग द्वारा संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर तुरंत कार्यवाही की जाए। इस कटाई पर रोक नहीं लगने के कारण खंडवा और बुरहानपुर जिले में जगह जगह अवैध कटाई शुरू हो गयी है। इस कटाई पर तुरंत रोक लगाई जाए, सभी दोषियों पर कार्यवाही की जाए और क़ानून के अंतर्गत पात्र दावेदारों को बिना रोकटोक, इज्ज़त के साथ पूरा कानूनी अधिकार दिया जाए।

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