कोरोना संकट: वोलेंटियर समूह और प्रशासन के बीच नहीं तालमेल

लॉक डाउन के दौरान जन संपर्क समूह भोपाल का शहर के विभिन्न बस्तियों में खाना पहुंचाने के काम के दौरान का आकलन। सीमा कुरुप और अब्दुल हक़ की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु।

• वोलंटरी ग्रुप्स और प्रशासन के बीच कोआर्डिनेशन की कमी हैं. अभी तक सभी ग्रुप्स के साथियों का मीटिंग या ऑनलाइन ग्रुप ब्रीफिंग नहीं हो पाया हैं।

• शहर में कई सारे ग्रुप्स काम कर रहे हैं. उनके साथ सेफ्टी प्रोटोकॉल्स और रिलीफ वर्क की कोई ट्रेनिंग या ब्रीफिंग नहीं हुई अब तक।

• वालंटियर ग्रुप्स ने बस्तियों और वालंटियर्स के लिस्ट भेज दिए थे पहले दिन ही. लेकिन परमिशन इशू करने वाली अथॉरिटी बार बार बदलती रहती हैं जिस से ग्रुप को कार्ड इशू करने में दिक्कत आरही हैं. पहले कलेक्टर ऑफिस, फिर पुलिस कण्ट्रोल रूम, उसके बाद SDM और अभी कमिश्नर ऑफिस, या स्मार्ट सिटी ऑफिस से पास बनाने के निर्देश हैं।

• हर संस्था को केवल दो ही पास दिए जा रहे हैं और पूरे शहर को कवर करने की अपेक्षा हैं! बस्तियां कई ज्यादा हैं और काम करने वाले लोगों के लिए पास होना अनिवार्य हैं. पास नहीं होने पर पुलिस वालंटियर्स के साथ अभद्र व्यव्हार कर रही हैं।

• पब्लिक यातायात बंद होने के वजह से कई वालंटियर्स को घर से बस्ती तक पहुचने में दिक्कत हो रही हैं।

• प्रशासन से सूचना आई थी की वो फ़ूड पैकेट्स की आपूर्ति करेंगे और हमे सप्लाई करना हैं बस्तियों तक. लेकिन अभी तक प्रसाशन के कोआर्डिनेशन में बहुत कम फ़ूड पैकेट्स मिल पाए हैं. आज भी मेसेज मैं 5000 फ़ूड पैकेट्स की अवैलाबिलिटी बताई गयी थी. हमने 2000 मांगे तो उन्होंने 1000 से फिर 800 से फिर 250 से आखिर में सिर्फ 170 पैकेट्स हाथ में आये. कई बस्तियों तक हम खाना नहीं पंहुचा पाए. कई लोग भूखे ही रह गए होंगे क्यूंकि वहां कोई और ग्रुप नहीं पहुच पाए।

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• नोडल फ़ूड डिस्ट्रीब्यूशन प्रक्रिया में सिविल सोसाइटी ग्रुप्स से सलाह नहीं होने के कारण कुछ बस्तियों में तीन टाइम खाना पहुच रहा हैं और कई बस्तियों में कुछ भी नहीं पंहुचा हैं. बस्तियों और वालंटियर्स की लिस्तिग ठीक से नहीं हुई हैं।

• हमारी टीम अधिकतर केवल दिन में एक ही बार और वो भी पूरी तरह से डिस्ट्रीब्यूट नहीं कर पा रही हैं. इसका कारण हमारे पास पर्याप्त रॉ फ़ूड मटेरियल, खाना बनाने के लिए वालंटियर और चूल्हे का इंतज़ाम के लिए लागत का इंतज़ाम करने में पूरा दिन लग जाता हैं. प्रशासन से कोई खाद्य कच्चा माल और अन्य सपोर्ट न मिलने के कारण रसोई देर से ही काम शुरू कर पाती हैं. रात में ही वितरण हो पाता हैं।

• लोगों से ही कॉन्ट्रिब्यूशन आ रहे हैं. गवर्नमेंट से फिलहाल कोई ठोस जानकारी या आर्थिक मदत नहीं मिली हैं. न ही खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाये गए हैं।

• दूकानकार दाम दुगना करके सामान बेच रहे हैं. कण्ट्रोल के दुकानों में सामान नहीं दे रहे हैं. दुकानदार और ग्राहक के बीच में कई जगह लड़ाई हो रही है।

• बीमार बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के इलाज रुके हुए हैं . बस्तियों में लोगों के पास माहमारी के बारें में बहुत कम जानकारी हैं. लोग सेफ्टी नोर्म्स को फॉलो नहीं कर रहे हैं।

• खाना न मिलने पर बस्ती के गरीब समुदाय के लोग अगर पुलिस के पास कंप्लेंट करने जाते हैं तो उन्हें भगा दिया जाता हैं।

• दीन दयाल कम्युनिटी किचन मैं जितना खाना बन रहा हैं वो पर्याप्त नहीं हैं. जिन गाड़ियों से इस खाने का वितरण होता हैं, उसके टाइमिंग के बारे में कोई सूचना नहीं हैं. कई बार ये बहार ही बहार से लोगों को पैकेट देकर चले जाते हैं और बस्तियों के आखरी छोर पर बसे हुए लोगों तक नहीं पहुचते हैं।

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• पुलिस वालंटियर्स को परेशान करती हैं और कई बार डंडे भी बरसाती हैं. कार्ड इशू नहीं हैं लेकिन लोगों तक खाना पहुचना भी जरूरी हैं।

• हमारे ग्रुप के लगातार दबाव बनाने पर प्रशासन के तरफ से एक कम्युनिटी किचन सेट उप हुआ हैं MP नगर में लेकिन वहां से लायंस क्लब जैसे समूह खाने ले जा रहे हैं, जिस से ओल्ड सिटी के ग्रुप्स को खाना पैकेट्स नहीं मिल पा रहे हैं. लायंस क्लब जैसे ग्रुप्स अपने लेवल पर कम्युनिटी किचेन रन कर सकते हैं. ऐसा न होने पर जन संपर्क भोपाल के किचेन पर लोड अरह हैं।

• शहर के कुछ ग्रुप्स जिनके पास कच्चा माल हैं, उनसे कोआर्डिनेट करके हम अपने किचेन में इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन ये बहुत कम हैं. हमारे किचेन में कम से कम 5000 से 6000 फ़ूड पैकेट्स की जरूरत हैं. इतने बड़े आपूर्ति को सिर्फ प्रशासन के द्वारा संचालित योजना में किया जा सकता हैं।

• साथियों को अब फेस फ़िल्टर मास्क की ज़रुरत है, अगर प्रशासन प्रबंध करा देता है, तो हम और ज्यादा खुद की सहत को लेकर ज्यादा कॉंफिडेंट रहेंगे और ज्यादा से ज्यादा दिन काम कर पायेंगे।

• नगर निगम से मिलने वाले पेकेट का समय सुबह ही सूचित किया जाना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर दिन भर uncertainity बनी रहती हैं।