शादी, ससुराल और मेरा सपना

शादी, ससुराल और मेरा सपना आज मेरा 12वीं का रिज़ल्ट आने वाला है। मैं बहुत खुश हूं। अब मैं कॉलेज जाउंगी।कॉलेज जाना मेरा सपना था। थोड़ा डर भी लग रहा … Read More

Theatre Workshop: 10 मिनिट में पांच ट्रांसफर और 10 पड़ोसियों से मुलाकात

(कोरोना के दौर में एक तरफ लोगों के एक दूसरे से मिलने पर तमाम तरह की पाबंदियां हैं, तो ऐसे ही वक्त में मिलने जुलने के नए ढबों को भी … Read More

Theatre Workshop: बंधन तोड़ कर आगे आए, डर निकाला और मस्ती में डूबे

(आजाद बोल की साथी फरहा इन दिनों एक थियेटर प्रोसेस से गुजर रही हैं। उन्होंने अपने अनुभव को शब्दों में ढाला है। बच्चों और किशोरियों के मुद्दे पर जमीनी काम … Read More

Akhand Bharat: अखंड भारत या दक्षिण एशियाई देशों का संघ

-राम पुनियानी (Akhand Bharat) भारत का विभाजन दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी त्रासदी था. विभाजन के पीछे मुख्यतः तीन कारक थे – पहला, ब्रिटिश सरकार की फूट डालो और … Read More

Communal Violence: अराजकता बढ़ाते कानून और संरचनात्मक सांप्रदायिक हिंसा-2

इरफ़ान इंजिनियर एवं नेहा दाबाड़े Communal Violence  in 2020: (….पिछले अंक से जारी) इस सीरीज का पहला लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: अराजकता बढ़ाते कानून और संरचनात्मक सांप्रदायिक … Read More

Netaji Subhash Chandra Bose: नेताजी पर कब्ज़ा ज़माने की हिन्दू राष्ट्रवादी कवायद

–राम पुनियानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की 125वीं जयंती (23 जनवरी) के अवसर पर देश भर में अनेक आयोजन हुए. राष्ट्रपति भवन में उनके तैल चित्र का अनावरण … Read More

Cultural Movement: प्रतिरोध की जरूरत, चुनौतियां और संभावनाएं

Video on Cultural Movement: राजेश जोशी, राजेंद्र शर्मा, रामप्रकाश त्रिपाठी, नवल शुक्ल और ईश्वर सिंह दोस्त से सत्यम पांडे की बातचीत  हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि राजेश जोशी, कवि और … Read More

Farmers Protest: 1956-57 और 1965 में आंदोलनों के समक्ष झुकी थी केंद्र सरकार

एल. एस. हरदेनिया भोपाल। आजादी के बाद दो महाआंदोलन हुए जिनके सामने तत्कालीन केंद्रीय सरकारों को झुकना पड़ा। इनमें से पहला आंदोलन 1956-57 में हुआ था और दूसरा 1965 में। पहले आंदोलन का संबंध … Read More

Revolutionary Practices: प्रोफेसरों के बहाने उच्च-मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों के बारे में चंद हानिकारक बातें

कविता कृष्णपल्लवी जमीनी राजनीतिक कार्यकर्ताओं (Revolutionary Practices) और सिंद्धांतकारों के बीच तनाव नया नहीं है। बैठकखानों और क्लासरूमों में इतिहास की घटनाओं के जरिये नए बनते भविष्य को देखने, समझने … Read More