Theatre Workshop

Theatre Workshop: 10 मिनिट में पांच ट्रांसफर और 10 पड़ोसियों से मुलाकात

Theatre Workshop(कोरोना के दौर में एक तरफ लोगों के एक दूसरे से मिलने पर तमाम तरह की पाबंदियां हैं, तो ऐसे ही वक्त में मिलने जुलने के नए ढबों को भी शक्ल मिल रही है। ऐसी ही एक कोशिश भोपाल के कुछ युवाओं ने की है। थियेटर वर्कशॉप के जरिये मिल रहे और अपने अनुभवों को रचनात्मक शक्ल दे रहे इन युवाओं में शामिल साहिबा ने अपने अनुभव को दर्ज किया है। आजाद बोल की साथी साहिबा जन मुद्दों पर जमीनी काम में संलग्न हैं। उन्होंने थियेटर वर्कशॉप को जैसा महसूस किया, उसे जस का तस आपके सामने रख रहे हैं। — संविधान लाइव)

5 अप्रैल 2021, भोपाल
शाकिर
सदन में आज फिर थियेटर वर्क शॉप रखी गई। जिसमें आज 20—21 लोग शामिल हुए। इससे पहले एक अप्रैल को वर्कशॉप हो चुकी है। यहां आज कुछ नए लोग भी शामिल दिख रहे थे। अब सभी समय पर आ गए और एक गोल मे बैठ गए। निगहत ने सभी का धन्यवाद किया। इस कार्यक्रम को आगे ले जाने में निगहत का बहुत सपोर्ट रहा है। चिराग ने सबको अपना इंट्रो देने को कहा। ये इंट्रो एक मज़ेदार गेम था। इसमें आपको आपके पास वाले का नाम बोलना है। और अपना नाम बताना था। इंट्रो शुरू हुआ साहेबा यानी मुझसे फिर अशफाक ने साहेबा और अशफाक, फैज़ान ने साहेबा अशफाक और फैजान बताया। ऐसे इंट्रो आगे बढ़ता गया और सभी को लगभग सबके नाम याद हो गए। इंट्रो खतम हुआ।

फिर चिराग बोले अब सब खड़े हो जाएं और अपने आसपास के पड़ोसी से बात करें। सब आपस में बात करने लगे। फिर चिराग बोले अब आपका ट्रांसफर हो गया है। अब आपको दूसरे पड़ोसी बनाना है। ऐसे पाँच ट्रांसफर हुए और सब घुल मिल गए। अब सब एक दूसरे को अच्छे से जानने लगे।

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इस बार आठ साथी नए थे। वो भी अब सबको अच्छे से जानने लगे। इसके साथ अब फिर चिराग ने अपने पहले पड़ोसी से मिलने को कहा। पाँच ट्रांसफर होने के बाद मुश्किल था याद रखना, पर सब मिल गए। ऐसे ही पाँचों पड़ोसी से मिलना था। ये गम यही खत्म हुआ और अब सबके चेहरे पर मुस्कान थी। फिर चिराग ने एक शब्द में अपना अनुभव बोलने को कहा। इसमें अच्छा, फन, मस्ती, एंजॉय आदि शब्द बोले।

अब दूसरे पड़ाव पर पहुँचे। इसमें एक A और B दो समूह थे। इसका नाम जादू का हाथ था। A का जादू वाला हाथ था तो B को फॉलो करना था। ये प्रक्रिया समाप्त हुई और फिर गोल में एक शब्द। ऐसे अलग अलग एक्विटी हुई। लास्ट में फिर मूर्ति वाला नाटक का काम था। ये पहले दिन की वर्क शॉप से थोड़ा सा अलग था।

अब यह तीन ग्रुप थे। इसमें एक ग्रुप को मूर्ति बनना था। जब चिराग एक्शन बोले तो लाइव करना था। तीनों ग्रुप का मज़ेदार गेम रहा। हर एक्विटी के बाद सबके फेस पर ये चिंता थी कि अब क्या होने वाला है। ऐसे पाँच गेम हुई और अब समाप्त करने का समय आ गया। सब एक गोल मे बैठे। चिराग बोले— अब आप अपनी बात एक से ज्यादा शब्द में रख सकते हैं। तभी सबके अनुभव ये थे।

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साफिया जो कि पहली बार ऐसी एक्विटी मे शामिल हुई है। इससे पहले वो कभी अकेले बाहर नहीं गई और न कहीं आती जाती है। ये उनके लिए एक अलग ही माहौल था। साफिया पहले किसी का नाम भी नहीं जानती थी। वह अब सबको पहचान गई। उन्हें यहां आकर बहुत अच्छा लगा और आगे भी आने की उम्मीद रखती है।

फैजान का भी ये पहला अनुभव था इसे पहले वो कभी ऐसी एक्विटी से नहीं जुड़े। वो बताते हैं कि कल अशफाक ने मुझे कहा था तो मुझे लगा था पता नहीं यहा क्या होगा और कौन कौन आएगा पर सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।

सीमा का कहना था मुझे इससे पहले वाली वर्क शॉप में ज्यादा मज़ा आया था। पर आज भी अच्छा लगा।

अस्फिया ने कहा आज हम एक स्टेप आगे गए हैं। पिछली बार भी मस्ती करी थी और वो एक इंट्रो की तरह था। पर आज हमे रोज़मर्रा की ज़िंदगी से सीखने को मिला।

चिराग ने आखिर में एनर्जी के लिए ताली वाला गेम करवाया। इसमें ज़िप जेप बोलना था। और फिर यह एक्विटी यही समाप्त हुई। अस्फिया ने निगहत का धन्यवाद कहते हुए कहा आज निगहत के वजह से हम सब एक बार फिर मिल पाए। निगहत ने भी सबको धन्यवाद कहा उनकी इस पहल में सपोर्ट करने के लिए और कल के लिए वो जगह को लेकर एक बार फिर सबको बता देंगी। इसी के साथ आज की एक्विटी खत्म हुई।