शहरी युवा बचा सकते हैं भारतीय खेती का भविष्य

सचिन श्रीवास्तव
देश की आर्थिक सुरक्षा आज भी कृषि क्षेत्र पर निर्भर करती है। यह दीगर बात है कि लगातार इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के आर्थिक हालात खराब हो रहे हैं। ताजा आंकड़े बताते हैं कि अपने इन खराब दिनों में भी कृषि क्षेत्र देश के 58 प्रतिशत आवाम की आजीविका चलाता है, जबकि आजादी के वक्त देश की 75 प्रतिशत जनता खेती पर निर्भर थी। दिलचस्प यह है कि यह गिरावट जीडीपी में हिस्सेदारी में भी आई है। आजादी के वक्त खेती की जीडीपी में हिस्सेदारी आधे से ज्यादा थी, तो वहीं अब यह घटकर कुल जीडीपी का महज पांचवां हिस्सा रह गई है। सीधा अर्थ है कि देश के बाकी हिस्सों में अमीरी तेजी से बढ़ी है, लेकिन कृषि क्षेत्र गरीब से बेहद गरीब होता चला गया है। लेकिन आगे हालात बदलने के आसार दिख रहे हैं और इसमें बड़ी भूमिका युवाओं की है। युवाओं का खेती में बढ़ता दखल देश के इस सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र की शक्ल पूरी तरह से बदल सकता है…

61 प्रतिशत हिस्सेदारी थी स्वतंत्रता के समय कृषि की अर्थव्यवस्था में
19 प्रतिशत है फिलहाल जीडीपी में कृषि क्षेत्र की
हिस्सेदारी
51 प्रतिशत जमीन पर होती है देश में खेती, दुनिया के 11 प्रतिशत से काफी ज्यादा
25 प्रतिशत बढ़ा है देश में आजादी के बाद फसल रकबा
10.7 करोड़ हेक्टेयर जमीन खेती से बाहर हो गई है, पानी की कमी के कारण

ग्रामीण भारत: योजनाएं बहुत, फिर भी हालात खराब
इस साल के बजट में ग्रामीण विकास के लिए 1 लाख करोड़ से ज्यादा और कृषि के लिए 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम आवंटित की गई है। इसकी बावजूद किसान आत्महत्या एक सच्चाई है। इसकी वजह में पानी की कमी और मूलभूत सुविधाओं की कमी भी शामिल है। हालात यह हैं कि सैकड़ों योजनाओं के बावजूद 13.34 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 75 फीसदी की मासिक आय राष्ट्रीय औसत से कम है।

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2050 तक करना होगा दोगुना उत्पादन
देश में साल फसल उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन बढ़ती जरूरतों के मुकाबले यह नाकाफी है। ताजा रिपोर्ट बताती हैं कि 2050 में देश की जरूरत के अन्न उत्पादन के लिए हमें मौजूदा उत्पादन को दोगुना करना होगा। यह हर क्षेत्र में होगा, जिसमें फसल, दूध व अन्य कृषि उत्पाद शामिल हैं।

कैसे बदलेंगे हालात
1- तकनीक:
आने वाले समय में खेती में तकनीक का दखल बढ़ाना जरूरत भी है और मजबूरी भी। अगर जल्द से जल्द खेती को उच्च तकनीक से लैस नहीं किया गया तो हालात बदतर होंगे। इसका असर अन्य क्षेत्रों की ग्रोथ पर भी पड़ेगा।
2- युवाओं की भूमिका: तकनीक आधारित खेती को युवा ज्यादा बेहतर ढंग से अंजाम दे सकते हैं। इससे रोजगार कम होने की बात कही जा रही है, लेकिन ऐसा संभव नहीं है। तकनीक का इस्तेमाल बढऩे से उत्पादकता बढ़ेगी साथ ही कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए उद्योग ढांचा भी खड़ा होगा।
3- कम पानी की फसलें: आने वाले समय में ऐसी फसलों का जोर रहेगा, जिनमें पानी का इस्तेमाल कम से कम हो, इससे वर्ष जल पर निर्भरता कम होगी।
4- शहर-गांव की बराबर भूमिका: ताजा रिपोर्ट बताती हैं कि आने वाले सालों में खेती में गांवों की भूमिका कम होगी और शहरों की दखल बढ़ेगी, लेकिन यह बदलाव सकारात्मक होगा। शहर संसाधन उपलब्ध कराएंगे और गांव उत्पादकता को बढ़ाएंगे।

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युवा और खेती
1- व्यावसाय बनेगा खेती:
खेती को अब तक आर्थिक रूप से फायदे का सौदा नहीं माना जाता है। आने वाले सालों में युवा इस सोच को बदल सकते हैं। खेती को सीधे व्यावसायिक जरूरतों से जोड़कर यह संभव होगा।
2- पूर्णकालिक काम: खेती अब तक पूर्ण कालिक काम नहीं है। देश के कई इलाकों में खेत साल के कई महीने खाली रहते हैं। इसमें तेजी से बदलाव आ रहा है और खेती को 12 महीने, 24 घंटे का काम बनाया जा सकता है।
3- योजनाओं तक पहुंच: युवाओंके खेती में आने के बाद वे सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकेंगे। इससे सरकार और लोगों के बीच की दूरी भी कम होगी।
4- प्रकृति पर निर्भरता कम: देश का कृषि क्षेत्र अभी भी मौसमी बरसात पर निर्भर है। युवाओं की आमद के बाद यह हालात बदलेंगे। युवाओं का जोर ऐसी खेती पर पाया गया है, जो कम पानी, कम वक्त में ज्यादा उत्पादकता दे।