ब्रह्मदाग बुगती: विद्रोही बलूच नेता चाहते हैं भारत से मदद

24 सितंबर 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव उरी हमले के अलावा बीते एक सप्ताह से भारत-पाकिस्तान के बीच विद्रोही बलूच नेता ब्रह्मदाग बुगती को लेकर भी खींचतान जारी है। शनिवार को पाकिस्तान ने इंटरपोल के समक्ष बुगती के प्रत्यर्पण की याचिका दाखिल की। असल में, बुगती भारत में राजनीतिक शरण चाहते हैं, और पाकिस्तान को यह गंवारा नहीं। बुगती ने मंगलवार को जिनेवा में भारतीय दूतावास से संपर्क कर शरण मांगी थी। उनकी अर्जी गृह मंत्रालय को गुरुवार को मिली। इसके बाद पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि बुगती को शरण देकर भारत आतंकवाद का आधिकारिक प्रायोजक बन जाएगा।

ब्रह्मदाग बुगती
जन्म: 25 अक्टूबर 1982
बलूच रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष और संस्थापक। राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर बुगती के पौत्र। नबाव की 2006 में पाक सेना ने हत्या की। बुगती 2010 में अफगानिस्तान के रास्ते जिनेवा चले गए।

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चाचा से हैं मतभेद
बलूचिस्तान का आंदोलन नवाब अकबर बुगती के नेतृत्व में जम्हूरी वतन पार्टी के हाथों में था। 2006 में उनकी हत्या के बाद ब्रह्मदाग के चाचा तलत अकबर बुगती ने पार्टी की कमान संभाली। उस वक्त ब्रह्मदाग की उम्र महज 24 साल थी। दो साल तक वे चाचा के साथ ही आंदोलन में शामिल रहे, लेकिन बाद में अपनी अलग बलूच रिपब्लिकन पार्टी की स्थापना की। तलत जहां शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्षधर हैं, वहीं ब्रह्मदाग ने पार्टी की एक लड़ाका शाखा बलूच रिपब्लिकन आर्मी भी बनाई है। इसे पाकिस्तान आतंकी समूह करार देता है।

6 साल से पाकिस्तान से बाहर
2010 में बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की दखल बढ़ गई। जान का खतरा देखते हुए ब्रह्मदाग पहले अफगानिस्तान पहुंचे। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान सरकार पर उन्हें शरण न देने का दबाव बनाया। इसके बाद वे अक्टूबर 2010 में स्विटजरलैंड पहुंच गए। फिलहाल वे जेनेवा में ही हैं। पाकिस्तान आरोप लगाता रहा है कि ब्रह्मदाग की इस दौर में भारत ने मदद की है।

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दादा ने की परवरिश
बलूचिस्तान की सिबी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले ब्रह्मदाग के पिता रेहान खान बुगती की 1983 में हत्या कर दी गई थी। उस वक्त ब्रह्मदाग महज कुछ महीने के थे। इसके बाद दादा नवान ने उनकी परवरिश की।

हो चुके हैं कई जानलेवा हमले
बुगती पर कई बार जानलेवा हमले हो चुके हैं। 2006 में अपने दादा की हत्या के वक्त बुगती अफगानिस्तान में थे। वहां अल कायदा और तालिबान ने उन पर कई कातिलाना हमले किए। इन हमलों के लिए ब्रह्मदाग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को जिम्मदार ठहराते हैं।