चिकनगुनिया: 1 सदी पुरानी बीमारी, अब तक लाइलाज

16 सितंबर 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित
सचिन श्रीवास्तव 
करीब पांच साल बाद एक बार फिर चिकनगुनिया ने देश में दस्तक दी है। बीते 15 दिनों में 10 से ज्यादा लोगों की मौत इसके कारण हो चुकी है। करीब एक सदी पहले डेंगू, चिकनगुनिया वाहक इस जानलेवा वायरस की खोज कर ली गई थी। फिर भी अब तक इसका कोई मुकम्मल इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। इस बीच दर्जनों शोध, रिसर्च हुए, लेकिन ठोस नतीजा नहीं निकला। ऐसे में मच्छर से बचाव और आराम ही इसका तोड़ है। बुजुर्ग और बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में लेने वाले वायरस पर एक नजर… 

अकड़े हुए आदमी की बीमारी

एडिस एजिप्टी के कारण चिकनगुनिया, डेंगू और जीका जैसी बीमारियां होती हैं। ग्रीक भाषा में ‘एडिस एजिप्टी’ का अर्थ है ‘बुरा मच्छर’। 1952 में अफ्रीका के मकोंडे इलाके में जिस मरीज के खून के नमूने से इस वायरस की पहचान हुई थी, वह हड्डी के दर्द से बुरी तरह अकड़ गया था। इसलिए इसे चिकनगुनिया कहा गया। मकोंडे की स्थानीय स्वाहिली भाषा में चिकनगुनिया का मतलब होता है- “अकड़े हुए आदमी की बीमारी।” 
डेंगू और चिकनगुनिया का संशय
एडिस एजिप्टी कई बार डेंगू और चिकनगुनिया दोनों के वायरस वाला होता है। हालांकि वैज्ञानिक ये नहीं जान पाए हैं कि इसके काटने से किसी व्यक्ति को डेंगू तो किसी को चिकनगुनिया क्यों होता है? 
लक्षण: शरीर कमजोर, पानी की कमी
-मच्छर काटने के दो से एक सप्ताह बाद लक्षण नजर आते हैं। 
-जोड़ों में भयानक दर्द होता है। 
-मरीज का ब्लड प्रेशर तेजी से नीचे गिरता है। 
-शरीर कमजोर हो जाता है और पानी की कमी भी होने लगती है। -शरीर में खुजली होती है और लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। 
-भूख न लगना, उल्टी, खांसी, जुकाम आदि।
असर: धीरे-धीरे मौत के करीब
-शरीर तोड़कर रख देता है। इससे चलना फिरना मुश्किल हो जाता है। 
-सिर दर्द और बुखार के साथ ये बीमारी एक हफ्ते से ज्यादा आपको परेशान कर सकती है।
-किडनी, सांस लेने में मददगार अंगों और फेफड़ों पर हमला करता है। ये अंग काम करना बंद कर देते हैं। इससे मरीज की मौत भी संभव है। 
बचाव: मच्छर से रहें दूर
-पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनें।
-कूलर, घड़े में पानी रोज बदलें
-घर में और आसपास मच्छर न फैलने दें
-सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
-घर और आसपास गंदगी न होने दें
-खूब पानी पीते रहें
इलाज: आराम ही है इलाज
-चिकनगुनिया का कोई विशेष इलाज नहीं है। अब तक इसका कोई टीका विकसित नहीं हुआ है। जोड़ों और शरीर का दर्द कम करने के साथ बुखार से बचने की दवा दी जाती है। इसमें आराम काफी जरूरी है। इसके बावजूद खुद दवा न लें। लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर की सलाह लें।
हल्की कसरत और हल्दी से लाभ
अगर मरीज हल्की कसरत करे तो उसे लाभ मिलता है। हालांकि भारी कसरत से दर्द बढ़ जाता है। जोड़ों में दर्द आठ महीने तक मौजूद रहता है। केरल में लोगों ने शहद-चूने के मिश्रण का प्रयोग किया है, जिसके बेहतर नतीजे सामने आए हैं। कुछ लोगों को कम मात्रा में हल्दी इस्तेमाल करने से भी लाभ मिला है। हालांकि इनका कोई वैज्ञानिक आधार सामने नहीं आया है। 
मलेशिया का शोध
अब तक चिकनगुनिया का कोई टीका विकसित नहीं हुआ है। हालांकि मलेशिया की मलाया यूनिवर्सिटी का एक सीरोलोजिकल परीक्षण उपलब्ध है। क्लोरोक्वीन इसके खिलाफ उपयोगी दवा है। इसका इस्तेमाल एक एंटीवायरल एजेंट के रूप में किया जा सकता है। गठिया जैसे दर्द एस्परीन से खत्म नहीं होते। ऐसे हालात में क्लोरोक्वीन फास्फेट मददगार साबित हो सकता है। मलाया यूनिवर्सिटी के इस शोध की पुष्टि इटली और फ्रांस ने भी की है। 
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स्रोत: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज की रिपोर्ट। वेबसाइट चिकनगुनिया.इन और चिकनगुनियावायरसनेट.कॉम।
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साफ पानी है घर, दिन में सक्रिय 
चिकनगुनिया का मच्छर एडिस एजेप्टी है। यह साफ पानी में पनपता है और दिन में ही काटता है।
1818 में जर्मन डॉक्टर जोहान विल्हेम ने की थी एडिस एजिप्टी मच्छर की पहचान
1952 में अफ्रीका में पहली बार पता चला इस बीमारी का। मोजाम्बिक और तंजानिया के सीमावर्ती मकोंडे इलाके में इसने गंभीर रूप लिया।
1960 के बाद इसके भारत में फैलने की रिपोर्ट है। 
1962 में भारत के कोलकाता और वेल्लौर के अलावा महाराष्ट्र के कई हिस्सों में फैला। एक लाख से ज्यादा लोग चपेट में आए। 200 से ज्यादा मौत।
1969 से 1982 के बीच अफ्रीका और भारत में ज्यादा मामले सामने आए
1982 से 1999 के बीच बेहद कम मामले सामने आए चिकनगुनिया के
1999 के बाद हर 5-7 साल के अंतराल से उभार होता रहा है विभिन्न देशों में
2007/08 में मालदीव, पाकिस्तान, सिंगापुर, इटली और ऑस्ट्रेलिया में भी मामले सामने आए।
13 लाख लोगों चपेट में आए थे भारत में पिछली दफा चिकनगुनिया की
40 देशों में पाया जाता है यह मच्छर। अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लातिन अमरीका हैं इसके मुख्य इलाके।
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