गिन्नी माही: हिपहॉप और रैप के जरिये सामाजिक भेदभाव से लड़ रही नई पॉप सनसनी

31 अगस्त 2016 के राजस्थान ​पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव
देश भर में जातिगत भेदभाव की बहसों और दलित विमर्श की तकरीरों के बीच पंजाब से सामाजिक भेदभाव के खिलाफ एक नई आवाज निकली है। यह आवाज है दलित पॉप सनसनी कही जा रहीं, गुरुकंवल उर्फ गिन्नी माही की। जालंधर की इस 17 साल वर्षीय गायिका के अब तक 16 गीत आ चुके हैं और ये गीत उम्र, भाषा और समुदायों से परे देश के हर हिस्से में पसंद किए जा रहे हैं।

सात साल उम्र से गा रही हैं गिन्नी
पंजाब के जाटव समुदाय से ताल्लुक रखने वाली गिन्नी के विभिन्न सोशल साइट्स पर एक लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। पंजाबी लोकगीत, रैप और हिप हॉप गाने वाली गिन्नी सोशल मीडिया से ज्यादा वे गांवों, कस्बों यानी पंजाब के दूरदराज के हिस्सों में बड़े समुदाय के बीच लोकप्रिय हैं।

जातिगत शब्दों से नहीं परहेज
वे जातिगत शब्दों का इस्तेमाल अपने गाने में खुलकर करती हैं और दलित समुदाय की खासियतों, उनकी सामाजिक जिम्मेदारी, इंसानी सोच को सामने रखती हैं। उनके गाने की एक लाइन है- कुर्बानी देनो डरदे नहीं, रेंहदें है तैयार, हैगे असले तो वड डेंजर ….। यह उनका सबसे लोकप्रिय गीत है। इसे यूट्यूब पर काफी पसंद किया गया है।

यह भी पढ़ें:  वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग आईआईटी दिल्ली देश का सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थान

क्लासमेट ने पूछी जाति, तो लिखा गीत
गिन्नी बताती हैं कि ‘डेंजर गीत का ख्याल उन्हें तब आया जब उनकी एक क्लासमेट ने उनसे जाति पूछी। जब उसे पता चला कि वे एससी कैटेगरी से हैं, तो क्लासमेट ने कहा, यार ये तो बड़े डेंजरस हो गए हैं। इस घटना के बाद उन्होंने अपने जातिसूचक शब्द के साथ डेंजर को मिलाकर पूरा फलसफा सामने रखा।

बाबा साहब को मानती हैं आदर्श
गिन्नी बाबा साहब को अपना मानती हैं। वे कहती हैं, बाबा साहब मनुष्य के अधिकारों और समानता के लिए बोलते थे। सिर्फ इसलिए नहीं कि वे एक दलित थे, बल्कि इसलिए कि वे एक भारतीय और हिन्दुस्तानी थे। वे कहती हैं, बाबा साहब ने भारत के लिए बात की। हमें अधिकार दिए, हमें सशक्त बनाया और मैं उनके लडऩे के जज्बे को सलाम करती हूं।

यह भी पढ़ें:  जींस के रखरखाव में समान है लड़के-लड़कियों की सोच

भेदभाव के बीच पली-बढ़ी
गिन्नी का बचपन सामाजिक भेदभाव को बचपन से ही महसूस करते हुए बीता है। उनका घर ऐसी जगह है, जहां जातिवादी कारणों से महज डेढ़ किलोमीटर के भीतर 7 श्मशान घाट हैं। गिन्नी दलितों से होने वाले भेदभाव के लिए लडऩा चाहती हैं और म्यूजिक इस लड़ाई में उनका हथियार है।

करना चाहती हैं पीएचडी
माही ने हाल ही में 12वीं की परीक्षा पास की है। 77 प्रतिशत अंक लेकर पास हुई माही ने एक इंटरव्यू में बताया कि वे पीएचडी करना चाहती हैं और आगे भी पढऩा चाहती हैं।