विभूति लहकर एशिया के पहले ‘हैरिटेज हीरो’


6 सितंबर 2016 के राजस्थान ​पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव 
असम के पारिस्थितिकी वैज्ञानिक और संरक्षण कार्यकर्ता बिभूति लहकर ‘हैरिटेज हीरो अवार्डÓ पाने वाले एशिया के पहले शख्स बन गए हैं। भारत-भूटान सीमा पर स्थित मानस नेशनल पार्क में अपना योगदान देने वाले बिभूति को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने इस पुरस्कार से नवाजा है। उन्हें 161 देशों के पर्यावरण कार्यकर्ताओं के बीच इस ख्यातिप्राप्त पुरस्कार के लिए चुना गया है।
गुवाहाटी में रहने वाले बिभूति भारत-भूटान सीमा पर स्थित मानस नेशनल पार्क और काजीरंगा नेशनल पार्क में काम करते हैं। उन्हीं के प्रयासों से 2011 में मानस नेशनल पार्क ‘खतरे वाले पार्कÓ  की सूची से बाहर आया।

बिभूति लहकर
उम्र: 43 वर्ष
गुवाहाटी के उलुबारी हाईस्कूल और बी बोरा कॉलेज से शुरुआती पढ़ाई। गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा। 1999 से मानस नेशनल पार्क में काम। 22 अप्रैल 2009 को डॉ नमिता ब्रह्मा से शादी। 2010 में पीएचडी। अरण्यक समूह का हिस्सा।

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कैसे हुआ चयन
दुनिया की तीन संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों में काम करने वाले पांच अंतिम पर्यावरणविदों में विभूति का नाम शामिल किया गया। चूंकि बिभूति का कार्यक्षेत्र उग्रवाद से भी प्रभावित है। इसलिए उन्हें अन्य पर्यावरणविदों पर तरजीह दी गई। आईयूसीएन ने कहा है कि पर्यावरण के लिए दुनियाभर के कई लोग काम कर रहे हैं, लेकिन जो लोग खराब हालात में काम कर रहे हैं, उनमें बिभूति का खतरा बहुत बड़ा है।

खुद बनाया अपना रास्ता

बिभूति ने विज्ञान की कोई डिग्री नहीं ली है। प्रकृति के प्रति प्रेम के चलते उन्होंने खुद ही अध्ययन शुरू किया। फिलहाल वे मानस अरण्यक नाम का एक समूह संचालित करते हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करता है।

संघर्ष खात्मे के विशेषज्ञ
बिभूति इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष खत्म करने वाले विशेषज्ञ के तौर पर भी जाने जाते हैं। उन्होंने अपने शोध से साबित किया है कि इंसान और हाथी परस्पर सहयोग आधारित जीवन जी सकते हैं। याद दिला दें कि असम में हाथियों के रहवास में इंसानी दखल के कारण कई हादसे सामने आए हैं।

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300 युवाओं का बनाया दल
बिभूति ने अपने प्रयासों से 300 युवाओं का एक दल बनाया है, जो मानस नेशनल पार्क की हिफाजत का काम करता है। ये युवा पार्क में स्थित जीवों की देखभाल से लेकर उन्हें प्राकृतिक वातावरण सुनिश्चित कराने तक का काम करते हैं।

100 युवाओं को ट्रेनिंग
बिभूति ने 100 से ज्यादा युवाओं को पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाए बिना आजीविका कमाने के लिए ट्रेनिंग दी है। इसके लिए वे विभिन्न आदिवासी संस्कृतियों का अध्ययन करते हैं और उन्हीं के आधार पर आधुनिक जीवन के समन्वय की ट्रेनिंग देते हैं।