आज शिक्षक दिवस और गणेश चतुर्थी : गुरु गणेश

1 सितंबर 2016 के राजस्थान ​पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव 
आज डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है। जैसा कि सभी जानते हैं कि इसे देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयोग यह कि आज ही गणेश चतुर्थी भी मनाई जा रही है। ऐसे में गणेश जी के शिक्षक रूप को देखना दिलचस्प है। भारतीय परंपरा में दुखों का निवारण करने वाले गणेश प्रथम पूज्य हैं। इसी तरह हमारी परंपरा गुरु को गोविंद यानी भगवान से भी पहले प्रणाम करने की है। श्रद्धा, भक्ति, सम्मान के पहले पायदान पर खड़े हमारे शिक्षक और गणेश को एक साथ याद करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका यह है कि हम गणेश जी के शिक्षक रूप को देखें। अमूमन मिथकीय चरित्रों की कहानियां, उनके विचार, घटनाएं शिक्षा देती हैं, जिन्हें हम जानते ही हैं। दिलचस्प है कि गणेश अपने स्वरूप में भी विशिष्ट शिक्षाएं देते हैं। उन्हीं पर एक नजर….

छोटी आंखें 
गणेश जी की तस्वीरों, मूर्तियों को देखिए, उनकी आंखें बेहद छोटी हैं। खूबसूरत। सीधी लकीर में देखती। विश्वास से भरीं। हमेशा सामने की ओर।
शिक्षा: हमेशा केंद्रित रहें। कोई बात नहीं अगर जीवन में बाधाएं हैं। लक्ष्य से ध्यान नहीं भटकना चाहिए। विश्वास रखें, खुद पर, अपने सपनों पर।
उदाहरण: लक्ष्य पर केंद्रित होने का सबसे बेहतरीन उदाहरण हैं कपिल देव। भारत में स्पिन गेंदबाजी के माहौल के बीच उन्होंने अपने लिए अलग राह चुनी। नतीजा सब जानते हैं।

लंबे कान
हाथी के कान है ये। भक्त मानते हैं कि गणेश आपकी बात सुनते हैं। मिथकीय कहानी तो सभी जानते हैं इन बड़े कानों की। लेकिन ये हमें क्या बताते और जताते हैं?
शिक्षा: जीवन की वास्तविक आहटों और भीतर की आवाज सुनें। जीवन की सच्चाई समझकर ही आप बेहतरी और लक्ष्य की ओर जा सकते हैं। खुद को सुनने का आशय कि क्षमताओं को पहचानें। फिर लक्ष्य तय करें।
उदाहरण: रजनीकांत अपने शुरुआती दिनों में एक बस कंडक्टर थे। उन्होंने अपनी क्षमताओं को पहचाना और मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया। इसके बाद की कहानी आप जानते ही हैं।

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बड़ा सिर, हाथ में कलम
गणेश जी की विशेषताओं में उनका बड़ा सिर और हर वक्त एक हाथ में कलम शुमार है। मिथकीय कथा के अनुसार, महाभारत का लेखन उन्होंने ही किया, क्योंकि उनकी लिखने की गति बेहद तेज मानी जाती है।
शिक्षा: ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। हर वक्त ज्ञान के लिए तैयार रहो।
उदाहरण: डॉ. एपीजे कलाम आधुनिक भारत में इस ज्ञान के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक हैं। पम्बन द्वीप के एक गरीब मुस्लिम परिवार से दिल्ली के राष्ट्रपति भवन तक का सफर डॉ कलाम ने अपने ज्ञान के सहारे ही तय किया।

बड़ा मुंह और अंतर्मुखी
गणेश जी का उदर यानी पेट बड़ा है और उसी अनुपात में मुंह भी, लेकिन वे कम बोलने वाले माने जाते हैं।
शिक्षा: ग्रहण ज्यादा कीजिए, लेकिन बोलिए कम। जब आप चुप होते हैं, तभी सच्चाई के करीब पहुंच पाते हैं।
उदाहरण: कन्फ्यूशियस ने कहा है, चुप्पी एक बेहतरीन दोस्त है, जिससे कभी धोखा नहीं मिलता। महान चित्रकार वॉन गाग के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत कम बोलते थे। लेकिन उनकी पेंटिंग जीवन की सच्ची तस्वीर हैं।

चूहा जैसी सवारी
भारतीय मिथकीय चरित्रों में गणेश जी की सवारी सबसे छोटी है। तस्वीरों में गणेश जी के आसपास लड्डुओं को कुतरता चूहा अपने आप में एक शिक्षा है।
शिक्षा: यह चूहा बताता है कि हमें जमीन से जुड़ा रहना है। चूहा जमीन की भीतरी परतों से गुजरकर कहीं भी पहुंच जाता है। हमें अपनी राह इसी तरह बननी चाहिए।
उदाहरण: लाल बहादुर शास्त्री जी की सादगी का कौन कायल न होगा। छोटे कद के इस महान राजनेता के जमीन से जुड़ाव के कायल उनके समकालीन व्यक्तित्व भी थे। उस दौर में ज्यादातर भारतीय राजनेता सादगी पसंद थे, लेकिन शास्त्री जी उनके भी नेता थे।

माना जाता है कि गणेश बुद्धि (ज्ञान), सिद्धि (अध्यात्मिक ऊर्जा) और रिद्धि (वैभव) के देवता हैं। इन तीनों को एक साथ देने वाले वे एकमात्र देवता हैं। वरना भारतीय परंपरा में ज्ञान और वैभव को नदी के दो किनारे माना गया है।

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इंटरनेट पर लोकप्रिय गणेश
विभिन्न वेबसाइट पर गणेश संबंधी किताबों की बिक्री खूब होती है। इनमें से पांच प्रमुख किताबें ये हैं।
1- सतगुरु सुब्रमणियमस्वामी की लविंग गणेशा
2- जगन्नाथन और कृष्णा की गणेशा: द ऑस्पिसियस…
3- उमा कृष्णस्वामी, मणियम सेल्वन की द ब्रोकेन टस्क
4- मेलुएला डन मास्केटी की गणेशा: रिमूवर ऑफ ऑब्सटेकल्स
5- एमी नोवेस्की की द एलीफेंट प्रिंस: द स्टोरी ऑफ गणेश
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स्रोत: ओनस ऑफ कर्मा (रुद कृष्णा),  महाभारत (वेद व्यास), शिव पुराण, गणेश पुराण, मुद्गल पुराण और गणपत्यर्थवशीर्ष
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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन: 20वीं सदी के महान दार्शनिक

जन्म: 5 सितंबर 1888 निधन: 17 अप्रैल 1975
दार्शनिक, शिक्षक और राजनेता। 20वीं सदी की महान अकादमिक शख्सियत। अद्वैत वेदांत के अद्वितीय जानकार। कलकत्ता यूनिवर्सिटी (1921-31) और ऑक्सफोर्ड (1936-52) में अध्यापन।1952 से 62 तक उपराष्ट्रपति और 1962 से 67 तक देश के राष्ट्रपति रहे।

उम्र या युवावस्था का कालक्रम से कोई लेना-देना नहीं है। हम उतने ही नौजवान या बूढ़े हैं, जितना हम महसूस करते हैं। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है।
लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के नहीं, बल्कि हर एक मनुष्य की आध्यात्मिक संभावनाओं में एक यकीन है।
एक साहित्यिक प्रतिभा, कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है, लेकिन उस जैसा कोई नहीं दिखता।
किताबें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों  के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।
कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए।

शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।